डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
सोने -सी निखर गई
नाम लिया तेरा
सिमटी ,फिर बिखर गई ।
2
है दिल की लाचारी
मत खोलो साथी
यादों की अलमारी ।
3
वो लाख दुहाई दें
बस में ना उनको
अब याद रिहाई दें ।
4
अँखियाँ कितनीं तरसीं
यादों की बदली
फिर उमड़ -उमड़ बरसी ।
5
बादल तो काले थे
यादों के तेरी
बस साथ उजाले थे ।
6
हौले से हाय छुआ
तेरी याद किरण
मन मेरा कमल हुआ ।
7
जग दरिया लाख कहे
जान गई मैं तो
परबत की पीर बहे ।
8
पीले -से पात झरे
अनचाहे ,दिल के
होते हैं जख्म हरे ।
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6 टिप्पणियां:
umda rachnaye jyotsna ji :) pahli baar mahiya padh rahi hu ... sabhi utyam vishesh rup se 7
जग दरिया लाख कहे
जान गई मैं तो
परबत की पीर बहे ।
badhayi
बहुत सुंदर माहिया! दिल को छू गये..
~सादर!!!
सभी सुन्दर माहिया!
यह अति सुन्दर...बधाई!
जग दरिया लाख कहे
जान गई मैं तो
परबत की पीर बहे ।
है दिल की लाचारी
मत खोलो साथी
यादों की अलमारी ।
पीले -से पात झरे
अनचाहे ,दिल के
होते हैं जख्म हरे ।
बहुत सुन्दर, भावपूर्ण माहिया...बधाई...|
प्रियंका
सभी माहिया बहुत उम्दा. जैसे दिल से निकल दिल में उतर गए...
जग दरिया लाख कहे
जान गई मैं तो
परबत की पीर बहे ।
बधाई.
सुन्दर प्रोत्साहन भरी उपस्थिति के लिए दिल से आभारी हूँ ...डॉ.जेन्नी शबनम जी ,प्रियंका जी ,कृष्णा जी ,अनिता जी evam Sunita Agarwal ji ..sneh banaaye rakhiyegaa ..
saadar
jyotsna sharma
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