डॉ सरस्वती माथुर
1
तुम जुगनू बन आओ
रातों को मेरी
आलोकित कर जाओ l
2
तुम धारा मैं नदिया
मुझ तक आने में
कितनी बीती सदियाँ l
3
तुम हो मेरी सजनी
मन में रहती हो
ज्यों पूनम की रजनी l
4
है मेरा दिल खाली
बगिया का मेरी
है तू ही तो माली l
5
आँखें मेरी पुरनम
तुम हो यादों में
कब होगा अब संगम l
-0-
2 टिप्पणियां:
सुंदर ..
sundar maahiya ....bahut badhaaii Saraswati ji
jyotsna sharma
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