1-रेखा रोहतगी
1
पलाश खड़े
लाल छाता लगाए
गर्मी में जब
जलते सूरज ने
अँगारे बरसाए ।
-0-
2-डॉ सरस्वती माथुर
1
मुँडेर पर
शिशिर भोर जागी
मयूरी धूप
दिन भर भागती
सागर में जा लेटी ।
2
सुर्ख भोर थी
नभ झूलना झूले
झिलमिलाती
धरा के आँगन पे
मोती बिखेरती ।
3
उनींदी रात
चाँदनी नभ पर
निर्झर बहे
तारों के संग संग
मनवा संग दहे l
4
हवा के संग
चाँदनी का आँचल
धरा पे फैला
रात कपाट खोल
भोर सीटी बजाए l
5
मन को छुए
चिड़िया की चहक
जाने क्या कहे
शहर की भीड़ में
छज्जे ढूँढ़ती डोले l
-0-
8 टिप्पणियां:
बहुत खूबसूरत ताँका....!
रेखा रोहतगी जी व डॉ सरस्वती माथुर जी... बहुत-बहुत बधाई!
~सादर!!!
एक-एक ताँका बहुत सुन्दर!
सरस्वती जी रेखा जी बहुत बधाई!
bahut badhiya ...saare ke saare ..
सभी ताँका बहुत खूबसूरत. रेखा जी और सरस्वती जी को बधाई.
हवा के संग
चाँदनी का आँचल
धरा पे फैला
रात कपाट खोल
भोर सीटी बजाए l
-0-
पलाश खड़े
लाल छाता लगाए
गर्मी में जब
जलते सूरज ने
अँगारे बरसाए ।
sunder tanka aapdono ko badhai
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ....सभी ताँका मोहक हैं ..रेखा जी एवं सरस्वती जी को बहुत बधाई !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
baht hi sundar bhawo se saje sabhi tanke ...@rekha ji @saraswati ji badhayi ....
:)
मनमोहक तांका हैं सभी...बधाई...|
प्रियंका
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