ताँका-चोका- सेदोका -माहिया-हाइबन
bhavna ji bahut sundar tanka aur chokha , hardik badhai aapko
आज का कटु यथार्थ कहती प्रभावी रचनाएँ !!
धूप-मेह में,बना महानगरमहानरक Bhavna ji aapne ekda sachchi tasveer dikha di mahanagron ki ... लम्हे असंख्य गुज़र जाते सब वांछित- अवांछित।yahi to sach hai jeevan ka din sukh bhare hon ya dukh bhare .... gujar hi jaate hain,.... na ye rahe na wo rahenge ......
बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......
महानगर की पीड़ा, महानगर की त्रासदी का बहुत सुंदर चित्रण!हार्दिक बधाई भावना सक्सेना जी!~सादरअनिता ललित
एक टिप्पणी भेजें
5 टिप्पणियां:
bhavna ji bahut sundar tanka aur chokha , hardik badhai aapko
आज का कटु यथार्थ कहती प्रभावी रचनाएँ !!
धूप-मेह में,
बना महानगर
महानरक
Bhavna ji aapne ekda sachchi tasveer dikha di mahanagron ki ...
लम्हे असंख्य
गुज़र जाते सब
वांछित- अवांछित।
yahi to sach hai jeevan ka din sukh bhare hon ya dukh bhare .... gujar hi jaate hain,.... na ye rahe na wo rahenge ......
बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......
महानगर की पीड़ा, महानगर की त्रासदी का बहुत सुंदर चित्रण!
हार्दिक बधाई भावना सक्सेना जी!
~सादर
अनिता ललित
एक टिप्पणी भेजें