कृष्णा वर्मा
1
मौसम ने पेड़ ठगे
शाखा उन्मन- सी
जीना अब झूठ लगे ।
2
पात हुए संन्यासी
ॠतु की भौंह चढ़ी
छाई घोर उदासी ।
3
तरु दल भरमाए हैं
रंग खिज़ाओं ने
सब आज चुराए हैं ।
4
रंगों का ना मेला
पात उदास कहें-
अवसान भरी बेला ।
5
पतझड़ जो ना होता
शाखें निर्वसना
तरु यौवन ना खोता ।
6
कोकिल फिर गाएगा
सूनी डालों पे
यौवन मुस्काएगा ।
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5 टिप्पणियां:
मौसम ने पेड़ ठगे
शाखा उन्मन- सी
जीना अब झूठ लगे..... jeevan me aksar aise kshan aate hain jab jeena jhooth lagne lagta hai .... sundar !
पात हुए संन्यासी
ॠतु की भौंह चढ़ी
छाई घोर उदासी ।
बहुत सुन्दर...बधाई...|
प्रियंका
अहा! बहुत खूबसूरत, बधाई कृष्णा जी.
बहुत भावभरे माहिया ....
मौसम ने पेड़ ठगे
शाखा उन्मन- सी
जीना अब झूठ लगे ।...सुन्दर अभिव्यंजना !...बधाई आपको !!
बहुत सुंदर माहिया,बधाई
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