बुधवार, 21 मई 2014

पिता


ज्योत्स्ना प्रदीप

तुम कभी हो
विस्तृत आकाश से,
कभी लगते
एक दिव्य प्रकाश ।
माना तन में
कोई कोख नहीं है
मन में किया
एक  गर्भ -धारण
अपना अंग
स्वेद से सींचते हो ।
शिशु के  संग
दिवसावसान में
करते क्रीड़ा,
कल्पवृक्ष से तुम
हरते पीड़ा।
तेरा अनन्त ऋण
युग भी बीते
कोई चुका ना पाए,
आज पिताजी
बहुत याद आए,
उस तारे से
झाँकते मेरा घर
आशीर्वाद देकर ।

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10 टिप्‍पणियां:

ज्योति-कलश ने कहा…

ओह ! ज्योत्स्ना जी भाव विह्वल कर दिया आपने ...

सादर नमन आपको और उन्हें जिनकी आप आत्मजा हैं बार बार नमन !!!

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सचमुच! पिता के ऊपर कहाँ लिखा जाता है ज़्यादा। आपने बहुत अच्छा किया ज्योत्स्ना जी और बहुत ही सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति है आपकी। इस चोका के लिए आपको हार्दिक बधाई !

~सादर
अनिता ललित

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

आज पिताजी
बहुत याद आए,
उस तारे से
झाँकते मेरा घर
आशीर्वाद देकर ।
बहुत मार्मिक...बधाई...|

Shashi Padha ने कहा…

पिता, जिससे परिवार का अस्तित्व होता है , उन्हें समर्पित चोका पढ़ कर बहुत अच्छा लगा | मैं भी अपने पिता को अपना गुरु मानती हूँ | सुन्दर/ प्रेरक् भाव | बधाई आपको |
शशि पाधा

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

माना तन में
कोई कोख नहीं है
मन में किया
एक गर्भ -धारण
अपना अंग
स्वेद से सींचते हो ।

Sach ujagar karne saath -saath bhavihal bhi kiya aapne,vastav men pita ke upar jayada nahi likha jaata,maa par jayada likha jaata hai lekin pita vasatav men kahte nahi par unke jaisa payar karne vaala duniya men koi nahi hota mujhe yaad hai vo pal jab main beemaar the mera 4 month ka beta meri kokh men dam tod raha or mujhe pata chala mere pita bina khaye piye bhagvaan se duaa maang rahe the ki vo unki jaan us bacche men daal de,jab mujhe pata chala mera ro rokar bura haal tha i kya main us santaan ko paakar khush hoti jo mere pita ki jaan ganvakar milti nahi kabhi nahi...bahut dard sametate hain pita or aabhaas bhi nahi hone dete..naman hai aise pitaon ko...

Krishna ने कहा…

बहुत बढ़िया चोका.....बधाई !

सहज साहित्य ने कहा…

भावना जी आपकी टिप्पणी पढ़कर आँखें भर आईं। आपके शब्दों की जीवन्तता झकझोर गई । नि:शब्द हूँ !! रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

Manju Gupta ने कहा…

आज पिताजी
बहुत याद आए,
उस तारे से
झाँकते मेरा घर
आशीर्वाद देकर ।
पिता का आशीर्वाद सदा साथ निभाता है , चोका में सजीव चित्रण कर दिया .
बधाई भावना जी .

rbm ने कहा…

mana tan men, koi kokh nahin hai,man men kiya , ek garbha - dharan,, apana ang sved se sinchate ho. pita ke man ka vistar agmya hai. jise shabdon se nirupit karna asambhav hai. is asambhav ko apane choka ke madhyam se sambhav karane ka adhbut prayas kiya hai. vastav men bhavvihval karne vala hai . jyotsana ji .apako badhai.
pushpa mehra.

Jyotsana pradeep ने कहा…

aap sabhi ka dil se aabhaar .......bhavna ji apke dard mein chupe pita ke prati prem ko, ....itna pyar karne vale pita ko aatmik naman....naman hai himanshu ji tatha hardeep ji ko ..setu bankar eak doosre ki bhavnao ko jodkar ujaas bhari ...anokhi disha ki oore le jaate hai ...sajal netro se punah aatmik naman.......param pita ko.... pita pradaan karne ke liye