डॉ
सरस्वती माथुर
1
कैसे काटें रातें
यादों में आतीं
भूली -बिसरी बातें ।
2
घर का रीता आँगन
तुम किस देस गए
लागे ना मोरा
मन ।
3
मन को कैसे थामें
सजन बता जाना
सूनी लगती शामें ।
4
उड़ता मन का पाखी
तेरी यादों की
हाला मैंने चाखी ।
5
मन का सूना कोना
जाने कब होगा
अब यादों का गौना ।
6
नभ में सावन छाया
मुझसे मिलने को
साजन था घर आया ।
7
पुरवा सीली -सीली
तेरी यादों ने
आँखें कर दी
गीली ।
8
सपने मैंने बोए
तुम जब आए तो
मिल कर थे हम रोए ।
-0-
7 टिप्पणियां:
Apke sabhee " Mahiya" manav man kee anubhootiyon ko behad sundar shabdon men vyakt karte hain . Apko naman !
सरस्वती जी बहुत सुन्दर माहिया विशेष कर ५ वाँ और ७ वाँ बहुत मन भाए.....बहुत-२ बधाई !
बहुत सुन्दर
mathur ji apake sabhi mahiya bahut achhe likhe hain.badhai.
pushpa mehra .
उत्कृष्ट माहिया .
बधाई .
sarswatiji bahut khoobsurat haiku likhe hai aapne vishesh lage4th,5th.....alag hi...badhai
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण माहिया...बधाई...|
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