डॉ भावना कुँअर
1
याद ही तो
थी
पायल- सी छनकी
चूडियों- सी खनकी
बरखा आई
बिजली की
धुन पे
बूँदे बन
थिरकी।
2
तकिए पर
ढुलके पूरी
रात
आँसू बने जो
मोती
आई सुबह
ले गई
चुराकर
उसकी हो
बपौती।
3
बीमार बनी
आँसुओं संग
भीग
मेरी भोली मुस्कान
नन्हीं
तितली
ज्यूँ गीले
पंख लिये
भर न पाए
उड़ान।
4
मन की झील
शान्त थी बरसों से
कौन पथिक आया !
प्रेम-काँकर
फेंक इसमें,भागा
हाथ ही न आ पाया।
5
धूप-सी खिली
अँधेरों को चीरती
वो मोहक मुस्कान
हर ले गई
गमों के पहाड़ को
मिला जीवन –दान
-0-
2-कृष्णा वर्मा
1
बादल घिरे
रंगी सपने तिरे
प्यासी धरा ने
सीप सा मुख खोला
बूँदों के मुक्ता भरे।
2
आई बौछार
सावन की फुहार
सरसी धरा
बुँदियों ने दी ताल
छिड़ा राग मल्हार।
-0-
7 टिप्पणियां:
तकिए पर
ढुलके पूरी रात
आँसू बने जो मोती
आई सुबह
ले गई चुराकर
उसकी हो बपौती।
बहुत मार्मिक...| बधाई...|
बादल घिरे
रंगी सपने तिरे
प्यासी धरा ने
सीप सा मुख खोला
बूँदों के मुक्ता भरे।
बहुत सुन्दर...| बधाई...|
dhup si khili,andhere kocheerati , vo mohak musakan, har le gayi , gamon ke pahad ko, mila jeevan -dan. madhu musakan se sikt chehare ke nichhal bhav sare dukhon ko bhulane men samarth hain ,phir yah musakan chahe nahane se shishu ki ho ya ayu se paripakva ki.manav -antas ka bhed batati panktiyan hain. anya sedoka bhi achhe likhe hain .bhavana ji apako badhai
badal. ghire,,rangee.n sapane tire ,pyasi dhara ne,seep sa mukh khola, boondon ke mukta saje bahut sunder sedoka hai. krishna ji apako bahut badhai.
pushpamehra.
बीमार बनी
आँसुओं संग भीग
मेरी भोली मुस्कान
नन्हीं तितली
ज्यूँ गीले पंख लिये
भर न पाए उड़ान।...बेहद भाव पूर्ण !
बादल घिरे
रंगी सपने तिरे
प्यासी धरा ने
सीप सा मुख खोला
बूँदों के मुक्ता भरे।...बहुत सुन्दर !
हार्दिक बधाई भावना जी एवं कृष्णा जी !
एक से बढ़कर एक ! बहुत सुन्दर सेदोका एवं ताँका भावना जी, कृष्णा जी !
भावना जी....
'बीमार बनी
आँसुओं संग भीग
मेरी भोली मुस्कान
नन्हीं तितली
ज्यूँ गीले पंख लिये
भर न पाए उड़ान।' --दिल को कहीं बहुत भीतर तक छू गया !
कृष्णा जी....
'बादल घिरे
रंगी सपने तिरे
प्यासी धरा ने
सीप सा मुख खोला
बूँदों के मुक्ता भरे।'-- अति सुन्दर
ऐसे जीवन्त चित्रण के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई!
~सादर
अनिता ललित
sunder aur bhavpurn lekhan.......badhai
badhai sunder lekhan ke liye
takiye par dhulke poori raat....badal ghire rangi sapne....bahut hi sunder taanka v sedoka...bhavnaji ...krishnaji bhaav purn lekhan ke liye badhai
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