कमला घटाऔरा
नन्हा मासूम
माँ की बगिया खिला
प्यारा सा फूलचाँद सूरज- जैसा
नैनों का तारा
सुने न जब बात
रहे खेलता
माँ हो जाती क्रोधित
सोच में डूबी
लगे थोड़ी चिंतित
समझता ना
ग़लत सही कुछ
होता उसमेंनहीं कोई दुराव
जानता सिर्फ
देख माँ को खिलना
माँ का अंतरभरदे खुशियों से
दिखा मुस्कान
सम्मोहित करदें
मोहक बन
माँ का दुःख हरलें
क्रोध करे माँ
नही भान उसको
अनावश्यक
समझ, होता मौन
कब हँसे माँघूमता संग- संग
पल्लू पकड़
देखता माँ की आँखें
प्रतीक्षारत
रहता धैर्य धर
कब हँस चूम ले
क्रोध विष भी
अमृत-सा स्वीकार
दिखे वो प्यार
पहले दिन जैसा
आँख खुलते
दिखा था जो ममत्व
माँ की गोद में
निर्मल शुद्ध प्यार
सीने से लगा
जब चूमा था माँ ने
नन्हा मुखड़ा
भुला पीड़ा अपनी
गोद में माँ की
लिया सुख असीम
तुम सर्वस्व
बनी रहो माँ मेरा
बस रूठा न करो।-0-
2 टिप्पणियां:
पुत्र ही मां का असली का साधन होता जैसा का चोकाकार
ने लिखा है । बधाई !
बहुत प्यारा , मधुर चोका !
हार्दिक बधाई आपको !!
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
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