[पितृ-दिवस पर सबको हार्दिक शुभकामनाएँ ! सम्पादक द्वय]
अनिता ललित
1
ठंडी बरगद- छाया
सबकी आस पिता
घर का वह सरमाया।
2
घर में हो अनुशासन
दिल में प्यार भरा
होता गद्गद आँगन।
3
दिखता सागर खारा
दिल में जब झाँका
पाई निर्मल धारा।
4
हर दुख से ले टक्कर
हिम्मत ना हारे
बैठे न पिता थककर।
5
जग की रीत निराली
जनम दिया जिसने
वे हाथ हुए खाली ।
6
हर सुख दे वो वारी
नींदें-सपने भी
बच्चों पर बलिहारी।
7
पेड़ लगाए माली
ख़ून-पसीने से
झूमे-लचके डाली।
8
बातें तो कम होतीं
बिटिया जब ब्याही
छुप-छुप आँखें रोतीं।
9
सबके सुख की सोचे
उम्र ढले जैसे
ख़ुद अपने क्यों नोचें ?
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14 टिप्पणियां:
सबके सुख की सोचे
उम्र ढले जैसे
ख़ुद अपने क्यों नोचें?
बेहतरीन माहिया अनीता जी.....हार्दिक बधाई!
पिता का सुंदर चित्रन ।बधाई !
pita par likhe sabhi haiku bahut sunder hain .anita ji apko badhai.
pushpa mehra.
anita ji !aapne to rula hi diya....bahut sunder ,marmik tatha sateek bhi-
बातें तो कम होतीं
बिटिया जब ब्याही
छुप-छुप आँखें रोतीं। saadar naman aapke janak ko aur aapki lekhni ko ...shubhkaamnaon ke saath-
आप सभी का हार्दिक आभार !
~सादर
अनिता ललित
बहुत गहरी ,स्नेह और सम्मान से भरे भावों को अभिव्यक्त करती मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति अनिता जी !सभी अनुपम !!
...आज ..सादर नमन आपको !!
ब्लॉग बुलेटिन के पितृ दिवस विशेषांक, क्यों न रोज़ हो पितृ दिवस - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत सुन्दर चित्रण ! एक पिता का शब्दचित्र ही खींच दिया है आपने !
बहुत सुन्दर चित्रण !
अनिता जी अभिनन्दन!!
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
अनिता ललित जी ने अपने सुन्दर माहिया से भावुक कर दिया । हार्दिक आभार ! डॉ सतीशराज पुष्करणा
Bahut bhavpurn man moh liya hardik badhai...
अनीता जी ,बहुत सुन्दर ढंग से पिता द्वारा निभाई गयीं जिम्मेदारी का अहसास कराया है आपने अपने माहिया में |अनेक शुभकामनाएं | सविता अग्रवाल "सवि"
बहुत मर्मस्पर्शी माहिया...हार्दिक बधाई...|
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