डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
चंदा की बिंदी
रजनी ने लगाई
सबको भाई ।
चुन-चुन सितारे
कितने सारे !
पवन ने सजाए
वेणी में गूँथीं
मोगरे ने कलियाँ
रात की रानी
सुरभि ले के आई
महक उठीं
नभ-गंगा ,गलियाँ
झूम-झूम के
तरुवर नाचते,
रजनी वधू तेरा
मन बाँचते
झींगुर झींम-झींम
बाँधे पायल ,
किये रात ने फिर
उमंगों भर
सारे साज-सिंगार ,
स्वयं रूप से
रूप ही गया हार
रूपसी वधू
मिलने हौले-हौले
पिया से चली
हो ज्यों नाज़ुक कली
नाजों से पली
पल गिन बिताए
अभिनंदन
उषा गले लगाए
दिन मुस्काए
मिलन बेला आई
तुरत ही विदाई !!
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11 टिप्पणियां:
संपादक द्वय के प्रति हृदय से आभारी हूँ |
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
वाह! बहुत ही प्यारा, कोमल भावों से भरा चोका सखी!
बहुत बधाई आपको!
~सादर
अनिता ललित
वाह!ज्योत्स्ना जी| बहुत सुन्दर शब्द बुने हैं आपने इन रचनाओं में | रात के भाल पर चाँद की बिंदी दिल लुभा गई |
बधाई आपको |
शशि पाधा
उषा गले लगाए
दिन मुस्काए
मिलन बेला आई
तुरत ही विदाई !!
bahut sunder varnan hai bhavon ki gahrayi hai
badhai
rachana
सुन्दर रचना!
ज्योत्स्ना जी शुभकामनाएँ!
garmi ke mausam ki jalan ka uttar apani mithi sugandh se deti vartaman prakritik chhaTa ,dharati se akash tak, ki bhavavyakti bahut hisunder hai .jyotsna ji apako badhai.
pushpa mehra.b
हार्दिक बधाई सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति है |
aadaraneey Ramesh Gautam ji , Pushpa di , Amit ji , Rachana ji , Shashi di evam Anita Lalit ji ke prati hruday se aabhaarii hoon .
saadar
jyotsna sharma
चंदा की बिंदी
रजनी ने लगाई
सबको भाई ।
Bahut sundar...bahut bahut badhai...
चंदा की बिंदी
रजनी ने लगाई
सबको भाई bahut khoob jyotsna ji!...sadar naman ke saath -saath badhai aapko .
बहुत भावप्रवण...हार्दिक बधाई...|
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