गुरुवार, 4 जून 2015

उठें जब कदम



कृष्णा वर्मा
1
समझदारी
तो निरी दलदल
खोए जिसमें
नादान बचपन
डूबे मस्ती की नाव।
2
बोल अमोल
शब्दों में बसें प्राण
तुलें संस्कार
अल्फाज़ से ही होती
इंसाँ की  पहचान।
3
कोई भी काम
उठानी हो कलम
या कि कसम,
सोचना लाख बार
ठें जब कदम।
4
शंका की रेखा
करे चित्त अशांत
लड़ते तर्क
अनुभवहीन -से
शब्दों का घमासान।
5
कैसा ये न्याय
सभ्य होने का भार
नित्य दबाए
बिना अदालत के
कड़ी सज़ा सुनाए।
6
करो खुशियाँ
मुक्त निज कैद से
शामिल होना
औरों की खुशियों में
बढ़ा खुशी -वंश।
7
डराए डर
जब तक ना उसे
राह दिखाएँ,
थामें रहे उँगली
मनमाना नचाए।
8
भोले शब्दों से
कविता चालबाज़
यूँ रचवाए
मन में लुके सब
रहस्य बीन लाए।
9
बासी हो चोट
मुस्कुराए उदासी
ख्शे पीड़ा को
दर्द तो सहेली -सी
आदत में शामिल।
10
धरा पे सब
रह जाएगा धरा
है वक्त शाही
करेगा निराधार
तू होगा धराशायी
-0-

9 टिप्‍पणियां:

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

वाह! बहुत ख़ूब ! एक-एक ताँका सच्चाई एवं सार्थकता लिए बहुत ही सुंदर व भावपूर्ण!
इस ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति हेतु हार्दिक बधाई... कृष्णा दीदी !

~सादर
अनिता ललित

Unknown ने कहा…

उठे जब कदम
आप का शिक्षात्मक तॉंका पढा । बहुत सुन्दर रचना है ।...उठानी हो कलम या कसम... एक बार नहीं हजार बार सोचने की जरूरत है क्यों कि तीर तलवार से भी गहरा होता है कलम का वार ।व्यक्ति की पहचान की भी बात आप ने खूब कही ।व्यक्ति की भेषभूषा ही नही उस की बोल वाणी भी जाहिर कर देती है व्यक्ति कैसा है ।सही कहा है।...एक और बात क्या खूब कही ...भोले शब्दों से/कविता चालबाज़/ यूँ रचवाये/ मन मेंलुका सब/ रहस्य बीन लाये /
और अन्त तोसब का वक्त के हाथों ऐसा ही होना है ।सही कहा ।वधाई आप के मन की बात कविता बन कागज पर आ गई

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत सुन्दर ,सारगर्भित चिंतन पूर्ण प्रस्तुति !

भोले शब्दों से
कविता चालबाज़
यूँ रचवाए
मन में लुके सब
रहस्य बीन लाए।....बहुत आनंददायक ....सच्ची बात !!!

हार्दिक बधाई ..नमन !!!
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा

Amit Agarwal ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचनाएँ !
कृष्णा वर्मा जी अभिनन्दन!

Kamlanikhurpa@gmail.com ने कहा…

धरा पे सब
रह जाएगा धरा
है वक्त शाही
करेगा निराधार
तू होगा धराशायी।


बहुत खूब ..

सुन्दर भाव बधाई

त्रिवेणी ने कहा…

आदरणीय डॉ भगवत शरण अग्रवाल की मेल से आई टिप्पणी प्रस्तुत है-

कृष्णा वर्मा के ताँका पढ़ें। अच्छे लगे। मेरी बधाई प्रेषित करें। नमस्कार.सानंद होंगे।
भगवत शरण अग्रवाल

kashmiri lal chawla ने कहा…

सुंदर तांका सभी बधाई

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

धरा पे सब
रह जाएगा धरा
है वक्त शाही
करेगा निराधार
तू होगा धराशायी।

Bahut khub ! hardik badhai...

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर तांका...हार्दिक बधाई...|