1-कमला घटाऔरा
1
बाँस -सुकन्या
पिया प्रेम पाने को
कराये तन छेद
भरी नाद से
अधर -स्पर्श मिला
झरी बन संगीत।
2
ठूँठ ने
कहा -
जाओ न रूठ कर
प्रिय सखी पवन ,
आये बसंत
ला दूँगा
पूरा थान
सुगंधित फूलों का ।
3
चाबी का गुच्छा
देकर रजनी
को
संध्या रानी थी बोली-
‘लो मैं तो चली
सम्भालो घर
चन्दा
तारों से
भरा।’
2-मंजु
गुप्ता
1
भुला न पाती
बचपन की यादें
वे खिलोने , लोरियाँ
नेह की बाहें
परियों की कहानी
माँ
-नानी की जुबानी।
2
लता-
कुंज में
कोमल लतिका -सी
कोंपल का आँचल
ओढ़े किशोरी
पतंग
जैसी उड़े
चढ़
ख़्वाबों की डाली।
3
लज्जा रानी के
मुखमंडल पर
झूलती शोख लटें ,
कह न पाती
अभिसार की बातें
साजन के आने पे।
4
बैरन बिंदी
साजन को रिझाए
वैरी
नींद न आए
यादों की बाढ़
आँसुओं को बहाए
पिया नजर आए।
-0-
12 टिप्पणियां:
sabhi sedoka bahut hi sunder hain.kamla ji vamanju ji badhai.
pushpa mehra.b
यादों साथ लबरेज सुंदर सभी सेदोका !
मंजु गुप्ता जी बहुत बढ़िया लगा बचपन की यादें, नेह की बाहें वाला और यह वाला भी कोंपल का आँचल ओढ़े /किशोरी पतंग जैसी उड़े /चढ़ ख़्वाबों की डाली। वधाई आप को। हिमांशु जी और सिंधु जी मैं जानती हूँ मेरी लेखनी को अभी बहुत कुछ समझना है सीखना है। आपदोनों ने मुझे त्रिवेणी में स्थान देकर बहुत उत्साह दिया धन्यवाद दोनों का।
कमला जी और मंजू जी आप दोनों को सेदोका की सुन्दर रचना पर बधाई सभी सेदोका बहुत अच्छे लगे विशेषकर ठूंठ ने कहा ...,और लता कुञ्ज में कोमल लतिका सी ....|शुभकामनाएं
आप दोनों की रचनाएं बहुत सुन्दर....कमला जी, मंजु जी बधाई!
आदरणीय डॉ भगवतशरण अग्रवाल जी ने इस पोस्ट पर अपनी सार्थक टिप्पणी मेल ई थी , जो यहाँ दी जा रही है-
Kamlaji aur sushri manju Gupta ki rachnaen pasand aain.mere aashirvad.
bsagrawal.
बाँस -सुकन्या
पिया प्रेम पाने को
कराये तन छेद
भरी नाद से
अधर -स्पर्श मिला
झरी बन संगीत। kamla ji ,manmohak rachnaayen hain aapki ..par baans suknya bahut hi pasand aaiyee...sunder kalpna!...aapko sadar naman ke saath badhai.
बैरन बिंदी
साजन को रिझाए
वैरी नींद न आए
यादों की बाढ़
आँसुओं को बहाए
पिया नजर आए।sabhi rachnayen khoobsurat par bairan bindi ka dard man ko choo gaya...manju ji ko sadar naman ke saath -saath badhai bhi .
बाँस-सुकन्या , चाबी का गुच्छा , भुला न पाती और लता कुञ्ज में ....अनुपम !
आदरणीया कमला जी एवं मंजु जी को सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई ..नमन !
बाँस -सुकन्या
पिया प्रेम पाने को
कराये तन छेद
भरी नाद से
अधर -स्पर्श मिला
झरी बन संगीत।
Bahut khub kha dono rachnakaron ko badhai...
आप दोनों की रचनाएं बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ...हार्दिक बधाई...
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