रश्मि विभा त्रिपाठी
(मेरी दिवंगत अग्रजा सरस्वती को उसकी 11वीं
पुण्यतिथि 7-11-2021 पर श्रद्धांजलिस्वरूप सेदोका)
1
याद तुम्हारी
बन मेरा सम्बल
देती है कल- बल
नहीं एकाकी
मेरे मन- पटल
तुम्हीं बैठी अचल।
2
दूर देश से
सदा भेजती दुआ
जब भी दुखी हुआ
अंतस मेरा
पाए दिव्य सौम्यता
'तूने मुझको छुआ'।
3
होता रहा है
तुझ संग संवाद
तेरे जाने के बाद
भूली नहीं मैं
तेरा स्नेह अगाध
सत्य ये निर्विवाद।
4
तू बनी छाया
भले अदृश्यमान
मैं धरूँ तेरा ध्यान
अग्रजा तेरा
नेम से मन- प्राण
करते स्तुति- गान।
5
मेरे कण्ठ में
हे प्रिय सरस्वती
तू ही है विचरती
तेरी प्रतीति
गीतों में उभरती
नव प्राण भरती।
6
अंक- झूले में
तूने सदा झुलाया
मेरा रोना न भाया
हे प्राण- प्रिया
तेरे प्रेम की माया
'दैव' जान न पाया।
7
विरह तेरा
हिय करे व्यथित
आया क्या इसी हित
ये नि:संदेह
नीति अमर्यादित
ओ रे प्रेम- पथिक।
8
तेरी दो आँखें
भले हो गईं बन्द
किन्तु मन निर्बंध
जी भर जीता
यह प्रेम- सम्बन्ध
तू प्राण- रस- छन्द।
9
अग्रजा तू ही
जीवन का आधार
तेरा प्रेम अपार
मुझमें सदा
करे प्राण- संचार
कोटि- कोटि आभार।
10
तू सरस्वती
दिव्य कृपा करती
हिय- पीड़ा हरती
तेरी वीणा से
झंकार जो झरती
सप्तस्वर भरती।
11
तू सरस्वती
क्या तभी कहलाती
अलका से आ जाती
आसन्न मेरे
मन- वीणा बजाती
स्मृति में आ लुभाती।
12
मेरी स्मृति में
तू ही रही है जाग
नि:शेष वीतराग
श्वास में गूँजे
तेरा प्रेमिल राग।
मोद मनाता भाग।
13
तुम आ बैठो
जब किसी प्रहर
स्मृति की ड्योढ़ी पर
हो उठती है
मन- वीणा मुखर
गुंजित सप्तस्वर।
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10 टिप्पणियां:
मेरे सेदोका प्रकाशित कर मुझे प्रोत्साहन देने हेतु आदरणीय सम्पादक जी का हृदय तल से आभार।
सादर 🙏🏻
नमन
बहुत सुंदर!!
बहुत उम्दा । रश्मि जी हार्दिक बधाई।
अति सुन्दर!
बहुत भावपूर्ण श्रधांजलि.
बहुत सुंदर।
आप सभी आत्मीय जनों का हार्दिक आभार।
सादर 🙏🏻
बहुत सुन्दर सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।
विभा रश्मि
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