सेदोका- रश्मि विभा त्रिपाठी
1
बरस रहा
सुख-आनन्द-मेह
समृद्ध मेरा गेह
अभिभूत हैं
पा अनमोल नेह
प्राण- मन औ देह।
2
तुम्हारी भुजा
मेरी आसनपाटी
वहीं विश्राम पाती
जब भी थकूँ
तुम्हें गले लगाती
नव प्राण पा जाती।
3
तुम्हारी याद
मधु स्पर्श दे जाती
जिस प्रहर आती
मन-वीणा के
तार छेड़ मुस्काती
प्रेम-रागिनी गाती।
4
तुम्हारी याद
दौड़ तुरत आए
दोनों बाहें फैलाए
दुख-ताप से
पल-पल बचाए
प्राण-मन हर्षाए।
5
कभी होती है
जो छटपटाहट
सीलें नयन- पट,
तुमने द्वारे
धरा दुआ का घट
पियूँ,पाऊँ जीवट।
6
तुम्हें न प्यारा
प्रिये कुछ भी अन्य
तुम भावनाजन्य,
तुम्हारा प्रेम
अलौकिक, अनन्य
तुम्हें पा मैं हूँ धन्य।
7
खिला देते हो
कामना के कुसुम
होऊँ जो गुमसुम
प्रेम-विहग
मेरे मन के द्रुम
चहचहाते तुम।
8
आकुलता में
भर देता साहस
बाहुपाश में कस
जिला लेता है
प्रणय सोम-रस
पा जाऊँ सरबस।
9
कट गए हैं
सारे ही दुख- द्वंद्व
झूम उठी सानंद
मन-आँगन
प्रेम की मंद-मंद
बरसी जो सुगन्ध।
10
मैं तपस्विनी
प्रियवर का ध्यान
मेरा पूजा-विधान
मन श्रद्धा से
गाए प्रणय-गान
मोद मनाएँ प्राण।
11
प्रिये तुम्हारा
प्रेम और विश्वास
मेरे जीने की आस,
मेरे मन में
करते तुम वास
आसक्त श्वास-श्वास।
-0-
11 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर भावपूर्ण सेदोका। हार्दिक बधाई रश्मि जी
बेहतरीन सेदोका, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
रश्मि जी सभी सेदोका एक से बढ़कर एक हैं | हार्दिक बधाई |
सुंदर, प्रेममय सेदोका! हार्दिक बधाई रश्मि जी!
~सादर
अनिता ललित
सुंदर सेदोका रच नाओं के सृजन हेतु हार्दिक बधाई.
प्रेम भाव से परिपूर्ण सुंदर सेदोका। बधाई रश्मि जी।
सेदोका प्रकाशन के लिए आदरणीय सम्पादक जी का हार्दिक आभार।
आप सभी आत्मीयजनों की टिप्पणी सदैव प्रोत्साहन देती है।
हार्दिक आभार आपको।
सादर 🙏🏻
अति सुंदर सेदोका...हार्दिक बधाई रश्मि जी।
प्रेम - भाव के सुन्दर सेदोका । बधाई ।
बहुत सुंदर रचनाएँ!
सभी सेदोका बहुत सुन्दर. बधाई रश्मि जी.
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