कृष्णा वर्मा
1
लिखी कविता
पीड़ा को मिली धरा
कोरे पन्नों को
सोंपा रूह का भार
नींदें ख़ुशगवार।
2
लिखी कविता
बना चंद्रमा मामा
तारकगण
हो जैसे ननिहाल
मुसकानें दोबाल।
3
बेटी पे लिखो
लगेंगी लड़कियाँ
बेटियों जैसी
औ बदल जाएगी
विचारों की प्रवृति।
4
एक छलाँग
शब्दों के सहारे से
लाँघ लेते हैं
नदी नाले पहाड़
कविता का कमाल।
5
लिखें कविता
मिल जाएगी युक्ति
मकान कैसे
बनाया जाए घर
प्यार के सामान से।
6
लिखें कविता
लगेंगे मेघदूत
काले बादल
बूँदें शकुंतला के
ख़्वाबों का महाकाव्य।
7
लिखी कविता
तो पिघल जाओगे
नख से शिख
शब्दों के परिधान
ओढ़ लेंगी पीड़ाएँ।
8
कविता लिखो
अँधियारी रात में
चौमुखी दीप
बन राह दिखाए
बेड़ा पार लगाए।
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8 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर ताँका, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
सभी ताँका बहुत सुंदर हैं। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
बहुत बढ़िया ताँका👌
वाह! अति सुंदर ताँका, बधाई कृष्णा जी।
वाह! बहुत सुन्दर। हार्दिक बधाई कृष्णा जी।
सभी ताँका सुन्दर और भावपूर्ण, बधाई कृष्णा जी।
अतिसुन्दर एवं भावपूर्ण ताँका आदरणीया कृष्णा दीदी!
~सादर
अनिता ललित
सुंदर ताँका के लिए बहुत बधाई
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