बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

गौरैया आती


3- ज्योतिर्मयी पन्त
1
गौरैया आती
चुगे दाना अँगना
दिखे न अब
कंक्रीट के जंगल
ढूँढे कहाँ ठिकाना ?

2
कटते वन
नीड़ खोजते  पाखी
हो बेसहारा
आती बाढ़ सुनामी
असहाय हों जन
3
हालात सदा
बुनें मकड़जाल
दिखें  सुन्दर 
जाने कहाँ फँसादें
प्रगति- रथ रोकें ।
 -0-

2 टिप्‍पणियां:

RITU BANSAL ने कहा…

सचमुच ..गौरैया प्यारी तो लुप्त हो गयी है कहीं ..
kalamdaan.blogspot.in

Rachana ने कहा…

paryavaran pr khoob likha hai sahi kaha ye kankrit ke jangal hai ab pdon ke jangal lupt ho gaye hain
rachana