रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
हे प्रभु मेरे
कुछ ऐसा कर दे !
दु:ख मीत के
सब चुनकर तू
मेरी झोली भरदे !
2
व्यथा की साँसें
कर देना शीतल
नयन खिलें
सब ताप मिटाके
करना आलिंगन ।
3
नई भोर-सा
तन हो सुरभित
पोर-पोर में
भरें गीतों के स्वर
खिलें प्रेम-अधर ।
-0-
15 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर भाव
बहुत ही भावभीनी, मन की उद्विग्निता को व्यक्त करती हुयी नेहपूर्ण रचना
aamin ....
बहुत बढ़िया
प्रार्थना सदा हितकारी होती है, उत्कृष्ट परमार्थी तांका .
बधाई .
भैया जी आपका ह्रदय इतना निर्मल, पावन है कि आपकी सभी प्रार्थनाएँ ईश्वर सुनेगा।
बहुत सुन्दर, बहुत पवित्र भानाओं से ओत प्रोत सभी ताँका बहुत-बहुत-बहुत... ही सुन्दर बन पड़े हैं। इतने सुन्दर सृजन के लिए ह्रदय से आपको शुभकामनाएँ।
~सादर
अनिता ललित
बहुत ही भावपूर्ण ताँका के लिए सादर बधाई !!
अति उत्तम ह्रदयस्पर्शी ताँका....सादर बधाई ।
सभी तांका अति भाव भरे, आपको बहुत - बहुत बधाई !
भावपूर्ण तांका। बहुत ही सुन्दर भाव । हे प्रभु मेरे.............सादर बधाई।
himanshuji...aapka svach man .....aapke lekhni mein basa hai...par pidao ko leti huie sunder ,komal rachnaye.....sadar badhai
vyatha ki sanse, kar dena sheetal ...........par dukh sahejane va dusaron ka vyatha-tap harane ka parhitkari bhav aj ki svarthi duniyan me ap jaise vishal hreday ki mahanta batata hai. bhai ji-
apke svasth va dirgh jeevan ki kamna karti hun.badhai ke shabdon ka jal bhi chota hai.
pushpa mehra.
हे प्रभु मेरे
कुछ ऐसा कर दे !
दु:ख मीत के
सब चुनकर तू
मेरी झोली भरदे !
ek achhha vyakti hi aesi bhavnayen rakh sakta hai
sunder bhav bhaiya badhai
rachana
उदात्त भावों से परिपूर्ण बहुत सुन्दर ताँका हैं भैया जी ....बस सुख बरसे !!
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
हे प्रभु मेरे
कुछ ऐसा कर दे !
दु:ख मीत के
सब चुनकर तू
मेरी झोली भरदे !
जब हम किसी अपने के दुःख अपनी झोली में देने की प्रार्थना करते हैं, तो यही तो प्रेम की परकाष्ठा होती है...|
सभी तांका मन को गहरे तक छू जाते हैं...|
हार्दिक बधाई...|
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