शनिवार, 19 अप्रैल 2014

मन की सेज

डॉ अनिता कपूर
1
सोई यादों के
करवट लेते ही
चरमराई
फिर मन की सेज
मुट्ठी में बंद रेत ।
2
आकाशबेल
शतरंज का खेल
सृष्टि की आँख
साफ देख रही है
ब्रह्मांड का ये खेल।
3
सिद्ध तो करो
देह और प्राण का
स्‍पर्श का रिश्‍ता
फिर लिखो अपनी
अलग परिभाषा ।
4
ओस लिपटी
और हरसिंगार
की खुशबू में
रची बसी वो बातें
काते है मन मेरा।
5

कुछ लकीरें
किस्मत ने मिटाईं
कुछ लकीरें
जिंदगी ने कुरेदी

हथेली रही खाली ।

5 टिप्‍पणियां:

Jyotsana pradeep ने कहा…

ek se badhkar ek taanka ...adhbhudh....pehle aur aakhri ne to man ko bheeter tak choo liya. anita ji... badhai.

Dr.Anita Kapoor ने कहा…

shukriya Jyotsana ji...AAbhar

ज्योति-कलश ने कहा…

behad bhaav puurn taanka ..haardik badhaaii Anita ji

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

कुछ लकीरें
किस्मत ने मिटाईं
कुछ लकीरें
जिंदगी ने कुरेदी

हथेली रही खाली ।

बहुत सुन्दर...बधाई...|

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

कुछ लकीरें
किस्मत ने मिटाईं
कुछ लकीरें
जिंदगी ने कुरेदी

हथेली रही खाली ।

बहुत सुन्दर...बधाई...|