शशि पाधा
1
आस- निरास
बीते कल की बातें
आओ अब सुना दें,
नूतन गान
लिखें नव विधान
सुख से पहचान ।
2
गत- विगत
चला अंगुलि थाम
भावी के पथ पर,
दीप स्तम्भ- सा
बाबा यूँ
तर्जनी से
दिखाए सही बाट ।
3
कुछ खो गया
कटघरे में बंद
घनेरे अँधेरों में
अक्सर देखा -
यादों की झिर्रियों से
खामोश बीता कल ।
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7 टिप्पणियां:
तीनों सेदोका बहुत भावपूर्ण हैं. सकारात्मक सा भाव लिए हुए. यह एक सबसे ज्यादा ख़ास लगा, जैसे हम सब के मन की बात...
कुछ खो गया
कटघरे में बंद
घनेरे अँधेरों में
अक्सर देखा -
यादों की झिर्रियों से
खामोश बीता कल ।
शशि जी को बहुत बधाई.
जो बीता सो कल, आओ, चलो देखें कल ....
सुन्दर भाव, सुन्दर भाषा... बहुत सुन्दर सन्देश !
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ शशि जी !!!
~सादर
अनिता ललित
gat-vigat,bhavi ke path par,chala aungali tham......,kuch kho gaya.....
bahut sunder sedoka hain. sashi ji apako bahut badhai .
pushpa mehra.
वक्त के उत्कृष्ट सेदोका
बधाई .
कुछ खो गया
कटघरे में बंद
घनेरे अँधेरों में
अक्सर देखा -
यादों की झिर्रियों से
खामोश बीता कल ।
बहुत खूब...बधाई...|
प्रियंका जी,मंजु गुप्ता जी पुष्प् महरा जी,जेन्नी शबनम जी, अनिता ललित जी , आप सब का आभार |
आप सब के स्नेह के लिए आभार | लेखन के लिए यह ऊर्जा और कहीं से नहीं मिल सकती |
सस्नेह,
शशि पाधा
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