1 -ऋता
शेखर 'मधु'
1
हृदय -गंगोत्री
प्रेम की गंगा बही
धारा पावन
समेट रही छल
जीत रही है बल।
2
मन वैरागी
स्मृतियों का कानन
करे मगन
चुनो सुहाने पल
महकेगा आँचल।
3
लेखनी हंस
मन मानसरोवर
शब्दों के मोती
चुगता निरंतर
खोलता रहा अंतस् ।
4
सूरज हँसा
रश्मि गई बिखर
जागा जीवन
खुशियाँ हैं निखरी
दिन लगे प्रखर।
5
धरा की नमी
नभ -दृग में बसी
छेड़ो न उसे
वो बरस जो जाए
भीगे दिल सभी का।
6
जागे अम्बर
चाँद चाँदनी- संग
पल शीतल
सूरज से छुपाए
राग मधुर गाए।
7
तेज आँधी थी
बुझा पाई न दिया
ऐसा लगा है-
दुआ सच्चे दिल की
रब ने कुबूल की।
8
चमकी लाली
प्राची ने माँग भरी
ले अँगड़ाई
अरुण वर उठा
कौंधा नव जीवन।
9
क्या करे कोई
एक ओर हो खाई
दूजी में कुआँ
बढ़ाना पग-नाप
पार हो जाना भाई।
10
जीवन- रेल
भागती सरपट
कई पड़ाव
साथ हैं मुसाफिर
अलग हैं मंजिलें।
-0--
2-शशि
पाधा
1
खनखनाती
धरती
कलाई में
हरी
चूड़ियाँ
मुस्कुराता
वसंत
आनन्दित
दिगंत ।
2
मलयानिल
चहुँ
ओर बिखेरे
चन्दन- गंध
मदमाती
धरती
थिरक
रहे अंग ।
3
अम्बुआ-डार
बौराई
कोयलिया
कुहुके, गाए
इठलाई
बगिया
वसंत
घर आए ।
-0-
3-रचना
श्रीवास्तव
1
लूट ली आस्था
घर्म के नाम पर
प्रभु दर्शन
मिले अब दाम पे
यही कलयुग है ।
2
घर्म के नाम पर
प्रभु दर्शन
मिले अब दाम पे
यही कलयुग है ।
2
दोस्ती -सीवन
चुपचाप उधेड़े
अपना दोस्त
काटे नेह की डोर
कलयुग की लीला ।
3
छीना किससे
निवाला किसका है ?
क्या मतलब?
भरा घर अपना
बस चिंता इतनी ।
चुपचाप उधेड़े
अपना दोस्त
काटे नेह की डोर
कलयुग की लीला ।
3
छीना किससे
निवाला किसका है ?
क्या मतलब?
भरा घर अपना
बस चिंता इतनी ।
-0-
8 टिप्पणियां:
आप दोनों के सुंदर भाव .
बधाई
खनखनाती
धरती कलाई में
हरी चूड़ियाँ
मुस्कुराता वसंत
आनन्दित दिगंत ।
क्या करे कोई
एक ओर हो खाई
दूजी में कुआँ
बढ़ाना पग-नाप
पार हो जाना भाई।
2shashi ji aur madhu ji bahut hi sunder bhav aur shabdon ka sanyog
मन वैराग
स्मृतियों का कानन
करे मगन
चुनो सुहाने पल
महकेगा आँचल। .....बहुत सुन्दर ऋता शेखर जी ...बधाई
खनखनाती
धरती कलाई में
हरी चूड़ियाँ
मुस्कुराता वसंत
आनन्दित दिगंत .......खूबसूरत ताँका शशि पाधा जी ....बधाई
छीना किससे
निवाला किसका है ?
क्या मतलब?
भरा घर अपना
बस चिंता इतनी ।,,,,,बहुत बढ़िया ताँका रचना जी....बधाई !
bahut badhaaii rita ji ...sachamuch .."लेखनी हंस" hai aapakii !!!
"मुस्कुराता वसंत" mohak hai Shashi di ..bahut badhaaii !!
"दोस्ती -सीवन
चुपचाप उधेड़े" ....laajavaab kahaa Rachanaa ji ...shubh kaamanaayen !!
सभी ताँका एक से बढ़कर एक ! सुन्दर सार्थक !
ऋता जी, शशि जी, रचना जी आप तीनों को हार्दिक बधाई !
~सादर
अनिता ललित
bahut khoobsurat taanke ....ritaji teesre ne man choo liya .....shashiji..pratham wale mein hari choodiya lajawaab ....rachnaji...doosti seevan....hridya bedhta..,,katu satya.....aap sab ko badhai
अम्बुआ-डार
बौराई कोयलिया
कुहुके, गाए
इठलाई बगिया
वसंत घर आए ।............बहुत सुन्दर बसंत वर्णन...सादर बधाई शशि जी को!!|
छीना किससे
निवाला किसका है ?
क्या मतलब?
भरा घर अपना
बस चिंता इतनी ।...लोभी और स्वार्थी लोगों का सुन्दर चित्रण...बधाई रचना जी|
मेरी रचना को यहाँ पर स्थान देने के लिए सादर आभार !!
बहुत सुन्दर भावों से सजी पंक्तियाँ...हार्दिक बधाई...|
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