मंजु गुप्ता
1
जिस वक्त भी
तेरी इबादत में
हाथ उठाए
तेरे नूर से रुह
मेरी एक हो गई ।
2
लौटा सुहाग
खुशी की लाली छाई
जल गई थी
प्रेम बाती जीने की
महका हर पल।
3
वक्त के काँटें
तानों के जख्म बन
जब भी दिए
हर हाल पीर को
मैंने गाथा में रचा।
-0-
4 टिप्पणियां:
sabhi tanka jeevan men jie palon ko yatharth kar rahe hain. manju
ji apako badhai.
pushpa mehra.
सुख-दुःख के भावों से रंगे सभी ताँका ...
सुन्दर रचनाएँ मंजू गुप्ता जी !
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ !!!
~सादर
अनिता ललित
पुष्पा जी हौंसला बढ़ाने के लिए धन्यवाद .
सभी तांका बहुत सुन्दर हैं पर ये वाला बहुत भाया...
वक्त के काँटें
तानों के जख्म बन
जब भी दिए
हर हाल पीर को
मैंने गाथा में रचा।
हार्दिक बधाई...|
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