मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

नैनों में प्रीत किये

1-डॉ सरस्वती माथुर
1
नींदे पीकर
रात में जुगनू से   
डोलते रहे
नैनो में प्रीत लिये
रँगीले से सपने l
2
मन अकेला
यादों की कश्ती लेके
दूर निकला
कुँवारे सपने ले
नैन कोख से जन्मा l
-0
2-सविता अग्रवाल "सवि"
1
गुंजित होते
प्रमुदित सुनते
मंगल गान
मधुरस बहता
बेसुध होता मन  .
2
काव्य सृजन
कल्पना की उड़ान
प्रेरित मन
अंतर है आकुल
वाणी हुई चंचल।

-0-

2 टिप्‍पणियां:

Jyotsana pradeep ने कहा…

man ko choo liya ...sarswatiji,savitaji..aapke taanko ne...neende peekar....gunjit hoote......aap dono hi badhai ke paatra

Pushpa mehra ने कहा…

man akela, yadon ki kashti le ke,door nikala.......pahale tanke ke sath hi yadon se sambadhit tanka bahut hisunder bhav liye hai.mathur jiapakobadhai kavy srejan ki kalpna se man akulana..............................


sunder bhav hai.savita ji apko bhi badhai.
pushpa mehra.
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