सोमवार, 11 जून 2012

प्रेम-परागा मन


स्वाति वल्लभा राज
1
मुरली वाले
गिरधर नागर 
दर्शन ईहा 
लालायित नयन 
प्रेम-परागा मन
2
पंथ निहारूँ
खुद को समझाऊँ
बंशी बजैया 
श्याम सलोना मुख 
दर्शन में ही सुख ।
-0-

7 टिप्‍पणियां:

kunwarji's ने कहा…

दर्शन में ही सुख....

जो करे सो जाने... बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

कुँवर जी,

बेनामी ने कहा…

दर्शन में ही सुख....

hari darshan me hi jeevan ka sukh hai... bahut sundar rachna

sushila ने कहा…

सुंदर ताँका। दूसरा तो बहुत ही बढ़िया है। बधाई स्वाति वल्लभा राज जी !

बेनामी ने कहा…

दोनों ताँका बहुत खूबसूरत
कृष्णा वर्मा

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

TANKA ACHCHHE HAIN BAHUT2 BADHAI...

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

श्यामसुन्दर को समर्पित दोनों ताँका उत्कृष्ट हैं...
स्वाति...आपको बहुत बहुत बधाई !!

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

भक्ति रस में पगे खूबसूरत तांके...बधाई...।