बुधवार, 6 जून 2012

सोचे चिड़िया



डॉoभावना कुँअर
1
नोंचे किसने
पेड़ों से ये गहने,
कैसे आएगी
वो मधुर कोकिला
सुख-दुख कहने
2
आसमान से
टूट पड़ा झरना
नहाने लगे
बाग और बगीचे
जंगल में हिरना
3
दुष्ट हवा ने
उजाड़ डाले फिर
बसे घरौंदे
बिना खता के पंछी
क्यूँ हैं इसने रौंदे ?
4
नीम का पेड़
बहुत शरमाए
नटखट -सी
निबौंलियाँ,जी भर
उसे, गुदगुदाएँ
5
गुमसुम है
गा न पाए कोयल
मीठी -सी तान
सदमें में शायद
है भूली पहचान
6
दो कबूतर
आकर बैठ जाते
रोज सवेरे
बीती रात की फिर
हैं कहानी सुनाते
7
चारों तरफ
फैला बाढ़ का पानी
सोचे चिड़िया
जुटाऊँ कैसे अब
मैं दाना और पानी
-0-

1 टिप्पणी:

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

पर्यावरण पर बहुत भावपूर्ण रचना...