-सुशीला शिवराण
1
भोर सुवासित आए
कूकी कोयलिया
मन में मोद समाए !
2
उसने प्रेम कहा है
मन वासंती में
भोर सुवासित आए
कूकी कोयलिया
मन में मोद समाए !
2
उसने प्रेम कहा है
मन वासंती में
झर-झर मेह बहा है ।
3
जब खिलता है उपवन
मीत बता मेरे
बहका -सा क्यों है मन !
4
उन्माद भरी लहरें
देतीं नाम मिटा
सुधियाँ तेरी ठहरे !3
जब खिलता है उपवन
मीत बता मेरे
बहका -सा क्यों है मन !
4
उन्माद भरी लहरें
देतीं नाम मिटा
5
इन रेत - घरौंदों में
दो पल का जीवन
जी लेते यादों में !
-0-
7 टिप्पणियां:
उसने प्रेम कहा है
मन वासंती में
झर-झर मेह बहा है
बहुत प्यारा माहिया...सभी माहिया अच्छे लगे!!
सुशीला शिवराण जी को हार्दिक बधाई !!
bahut khubsurat mahiyaa bahut bahut badhai
सभी माहिया अच्छे लगे!सुशीला शिवराण जी को हार्दिक बधाई !!
Dr saraswati Mathur
उन्माद भरी लहरें
देतीं नाम मिटा
सुधियाँ तेरी ठहरे !
बहुत सुन्दर बधाई।
कृष्णा वर्मा
मेरे हाइकू पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार - ऋता शेखर मधु जी, Suresh Choudhary जी और Dr saraswati Mathur जी।
सभी माहिया अच्छे लगे...बधाई...
बहुत सुंदर माहिया हैं
उसने प्रेम कहा है
मन वासंती में
झर-झर मेह बहा है
सुंदर भाव.
बधाई,
अमिता कौंडल
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