गुरुवार, 14 जून 2012

बिखरें रंग


डॉ अनीता कपूर
1
बिखरें रंग
फूलों से झरे हुए
धूप फागुनी
सजा जमीं आकाश
जग मनभावन ।
2
रेशमी धूप
सपनो के आँगन
हुआ उजाला
साँसों की सरगम
छेड़े सुर सितार ।
3
बसंती रुत
है प्यार बेशुमार
प्रेम चाशनी
छिड़को जीवन की
सूखी वाटिका पर ।

-0-

6 टिप्‍पणियां:

renuchandra ने कहा…

बहुत खूब.......बहुत ही सुन्दर तांका
रेनू चन्द्रा

ज्योत्स्ना शर्मा ने कहा…

बहुत सुन्दर ताँका....खिले खिले....बधाई अनीता जी

sushila ने कहा…

प्रकृति का मनभावन वर्णन करते हुए सुंदर तांका।

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

बसंती रुत
है प्यार बेशुमार
प्रेम चाशनी
छिड़को जीवन की
सूखी वाटिका पर ।

bahut sundar!

बेनामी ने कहा…

सभी ताँका खूबसूरत
कृष्णा वर्मा

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बसंती रुत
है प्यार बेशुमार
प्रेम चाशनी
छिड़को जीवन की
सूखी वाटिका पर ।
खूबसूरत...