डॉ अनीता कपूर
1
बिखरें रंग
फूलों से झरे हुए
धूप फागुनी
सजा जमीं आकाश
जग मनभावन ।
2
रेशमी धूप
सपनो के आँगन
हुआ उजाला
साँसों की सरगम
छेड़े सुर सितार ।
3
बसंती रुत
है प्यार बेशुमार
प्रेम चाशनी
छिड़को जीवन की
सूखी वाटिका पर ।
-0-
6 टिप्पणियां:
बहुत खूब.......बहुत ही सुन्दर तांका
रेनू चन्द्रा
बहुत सुन्दर ताँका....खिले खिले....बधाई अनीता जी
प्रकृति का मनभावन वर्णन करते हुए सुंदर तांका।
बसंती रुत
है प्यार बेशुमार
प्रेम चाशनी
छिड़को जीवन की
सूखी वाटिका पर ।
bahut sundar!
सभी ताँका खूबसूरत
कृष्णा वर्मा
बसंती रुत
है प्यार बेशुमार
प्रेम चाशनी
छिड़को जीवन की
सूखी वाटिका पर ।
खूबसूरत...
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