सुदर्शन रत्नाकर
1
उस पार उतरना है।
रस्ता अनजाना
तुमको ना डरना है ।
2
रस्ता अनजाना
तुमको ना डरना है ।
2
काजल की रेखा है
आगे क्या होगा
किसने यह देखा है ।
3
लो पानी बरसा है
मैं तो भीग गई
पर मन क्यों तरसा है ।
4
सपने तो सपने हैं
दुख में साथ रहें
सपने तो सपने हैं
दुख में साथ रहें
वे ही तो अपने हैं ।
5
5
साथी तो गहरे हैं
किससे दर्द कहें
सब के सब बहरे हैं
6
फूलों में काँटे हैं
जीवन बदल गया
जबसे दुख बाँटे हैं ।
7
चिड़िया चहकी है
चिड़िया चहकी है
सूरज उगने पर
मन-बगिया बहकी है ।
8
यादों का मेला है
इतने अपनों में
मन निपट अकेला है
9
सुनसान किनारें हैं
सुनसान किनारें हैं
सुख अपने हैं तो
ये दर्द हमारे हैं ।
10
दूर न जाया करो
गर जाते हो तो
याद न आया करो ।
11
गलियाँ अब सूनी हैं
आ भी जाओ तुम
आ भी जाओ तुम
पीर हुई दूनी है
-0-
6 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर भाव
चिड़िया चहकी है
सूरज उगने पर
मन-बगिया बहकी है ।
सभी माहिया एक से बढ़कर एक हैं...
सुदर्शन जी को बहुत बहुत बधाई !!
बहुत ही खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति ! ये माहिया तो बहुत ही भावपूर्ण हैं -
"5
साथी तो गहरे हैं
किससे दर्द कहें
सब के सब बहरे हैं
6
फूलों में काँटे हैं
जीवन बदल गया
जबसे दुख बाँटे हैं ।"
बधाई सुदर्शन रत्नाकर जी !
सभी माहिया सुन्दर भावपूर्ण हैं यह दो बहुत अच्छे लगे...सुदर्शन जी बधाई हो।
साथी तो गहरे हैं
किससे दर्द कहे
सब के सब बहरे हैं
यादों का मेला है
इतने अपनों में
मन निपट अकेला है (कृष्णा वर्मा)
सभी माहिया गहरे भाव लिए हुए हैं...
साथी तो गहरे हैं
किससे दर्द कहें
सब के सब बहरे हैं
शुभकामनाएं.
बहुत खूबसूरत माहिया हैं...मन को गहरे तक छूने वाले...। बधाई...।
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