कृष्णा वर्मा
स्वागत सदा
ऋतुराज तुम्हारा
चली बयार
दिशा-दिशा जा घूमे
धरा को चूमे
घुला फिज़ा में प्यार
बदल रहा
मौसम का तेवर
ऋतु उत्सुक
करने को शृंगार
घट रहा है
कद शीत ऋतु का
सर्द हवा भी
आ लगी छिटकने
मन्द ख़ुमार
तज नीड़ों का मोह
विहग- वृंद
करें नभ विहार
विविधवर्णी
कुसुम खिल रहे
उन्मत्त ऊर्वी
हो रही गुलज़ार
जगी सुगंध
मृदु आम्रकुंज की
कूकी बौराई
मीठी करे पुकार
दुल्हन जैसी
सजी धरती कर
सुमनों से शृंगार ।
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5 टिप्पणियां:
बंसत जैसा ही सुंदर चोका। बधाई सुंदर सृजन के लिए कृष्णा वर्मा जी।
वसंत का खूबसूरत प्रकृति वर्णन . बधाई
वसंत का आगमन... सुन्दर चित्रण, शुभकामनाएँ.
सुन्दर स्वागत ऋतुराज का ...बहुत बधाई !
prkriti par basnti choka pyara laga bahut2 badhai..
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