कृष्णा वर्मा
1
घुमेर सी
मैं
सोचों के
भँवर में
नाची, जानी ना
नट सा
रस्सी पर
चलना ही
जीवन।
2
जीवन लगे
कोई गहरा
मर्म
जीवन
भर
चाह के
न सुलझी
गुत्थी है
जो उलझी।
3
जीवन मात्र
मृत्यु की
अमानत
उधारी साँसें
लिखा,न
मिट पाता
फेंको जितने
पासे।
4
चलें तो
कष्ट
देता यह
जीवन
रुकें हों
नष्ट
सहने को
यातना
होना होगा
अभ्यस्त।
5
तम से
भरी
जीवन की
कोठरी
हो दीप्तिमान
कभी ढूँढ
ना पाई
ऐसी दिया
सिलाई।
-0-
5 टिप्पणियां:
तम से भरी
जीवन की कोठरी
हो दीप्तिमान
कभी ढूँढ ना पाई
ऐसी दिया सिलाई।
kamal ka chintan hai aur bimb ka mto kya kahna
bahut bahut badhai
rachana
घुमेर सी मैं
सोचों के भँवर में
नाची, जानी ना
नट सा रस्सी पर
चलना ही जीवन।
सुन्दर एवं गहन भाव हैं सभी रचनाओं में | बधाई कृष्णा जी |
बहुत अर्थपूर्ण, गहन भाव लिए सभी ताँका !
बधाई कृष्णा वर्मा जी !
~सादर!!!
बहुत ही भावपूर्ण, रूहानी से ....बहुत सुंदर ! बधाई कृष्णा जी !
सभी सुन्दर ...लेकिन ...
तम से भरी
जीवन की कोठरी
हो दीप्तिमान
कभी ढूँढ ना पाई
ऐसी दिया सिलाई।....अँधेरे से प्रकाश की ओर ...अनवरत खोज ...बहुत सुन्दर ...बधाई कृष्णा जी
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
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