नापाक
हरकतें
-डॉ• भावना कुँअर
-डॉ• भावना कुँअर
कोई
तो है ये
लगाकर जो बैठा
गहरी सेंध!
मेरी खुशियों पर।
झरने लगीं
यूँ भरभराकर
मेरे घर की
मज़बूत दीवारें ।
कोई तो है जो-
फेंककर है गया
लाल चोंटली
खुशबू बिखेरते
गुलाबों बीच,
जो मुरझाने लगे
यूँ कसमसाकर ।
कोई तो है जो-
चुपके से आकर
रोप के गया
मिर्चियों की ये पौध
भरने लगी
लगाकर जो बैठा
गहरी सेंध!
मेरी खुशियों पर।
झरने लगीं
यूँ भरभराकर
मेरे घर की
मज़बूत दीवारें ।
कोई तो है जो-
फेंककर है गया
लाल चोंटली
खुशबू बिखेरते
गुलाबों बीच,
जो मुरझाने लगे
यूँ कसमसाकर ।
कोई तो है जो-
चुपके से आकर
रोप के गया
मिर्चियों की ये पौध
भरने लगी
घनी कड़ुवाहट
शहद भरे
मीठे-मीठे बोलों में ।
कौन हो तुम?
जरा सामने आओ!
बिगाड़ा है क्या?
खुलकर बताओ ।
बजी है ताली
एक हाथ से कभी ?
तो मुझे ही क्यूँ
शहद भरे
मीठे-मीठे बोलों में ।
कौन हो तुम?
जरा सामने आओ!
बिगाड़ा है क्या?
खुलकर बताओ ।
बजी है ताली
एक हाथ से कभी ?
तो मुझे ही क्यूँ
‘स्वार्थी,लोभी,चालाक’
ये उपाधियाँ?
ये उपाधियाँ?
दे डाली हैं पल में
खुद ही सोचो !
फैलाया है किसने
मोहब्बत का जाल?
कलियाँ कभी
उड़कर क्या जातीं
भौंरों के पास?
या कि नदियाँ जातीं
प्यासों के पास?
या कि फल आ जाते
भूखों के पास?
तो बन्द करो
अपनी ये घिनौनी
नापाक हरकतें।
जानते हो ना
और मानते भी हो !
खाली रहता
उनका भी दामन
लूट ले जाएँ
जो औरों की खुशियाँ
मुस्काती ज़िंदगियाँ।
खुद ही सोचो !
फैलाया है किसने
मोहब्बत का जाल?
कलियाँ कभी
उड़कर क्या जातीं
भौंरों के पास?
या कि नदियाँ जातीं
प्यासों के पास?
या कि फल आ जाते
भूखों के पास?
तो बन्द करो
अपनी ये घिनौनी
नापाक हरकतें।
जानते हो ना
और मानते भी हो !
खाली रहता
उनका भी दामन
लूट ले जाएँ
जो औरों की खुशियाँ
मुस्काती ज़िंदगियाँ।
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10 टिप्पणियां:
बहुत ही भावपूर्ण, अर्थपूर्ण चोका ! अतिसुंदर अभिव्यक्ति!
~कितने ही सवाल उठते हैं दिल में....
इनके जवाब मगर.. कभी कहीं मिलते नहीं...~
~सादर!!!
जीवन के यथार्थ क सुंदर चोका .
बधाई .
भावना जी क्या खूब लिखा है।
रोप के गया
मिर्चियों की ये पौध
भरने लगी
घनी कड़ुवाहट
शहद भरे
मीठे-मीठे बोलों में ।
कौन हो तुम?
जरा सामने आओ!
कितना भावपूर्ण चौका । कितना गहरा प्रश्न । बहुत बहुत बधाई।
बहुत भावपूर्ण ....!!
खाली रहता
उनका भी दामन
लूट ले जाएँ
जो औरों की खुशियाँ
मुस्काती ज़िंदगियाँ।......सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति!
bhavna ji jeevan aesa hi hai aapne ye baut sahi kaha hi ki uska daman bhi khali hi rahta hai jo dusron ki khushiyan chhinta hai
bhav purn chonka
badhai
rachana
घनी कड़ुवाहट
शहद भरे
मीठे-मीठे बोलों में ।
कौन हो तुम?
जरा सामने आओ!
बिगाड़ा है क्या?
खुलकर बताओ ।...
जिन्दगी की सच्चाई को आपने बहुत खूबसूरती से बयां किया है...भावना जी बहुत बधाई।
रेनु चन्द्रा
जानते हो ना
और मानते भी हो !
खाली रहता
उनका भी दामन
लूट ले जाएँ
जो औरों की खुशियाँ
मुस्काती ज़िंदगियाँ।
बहुत खूब...एक सुन्दर, भावप्रवण चोका के लिए बधाई...|
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण चोका।
भावना जी बधाई।
Aap sabhi ka bahut2 aabhaar..
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