1-रचना
श्रीवास्तव
1
दुखी है आत्मा
क्यों छोड़के शरीर ?
परमात्मा से होगा
तेरा मिलन
जिनसे जन्मी है तू
उन्ही में समाना है ।
2
मृत शरीर
1
दुखी है आत्मा
क्यों छोड़के शरीर ?
परमात्मा से होगा
तेरा मिलन
जिनसे जन्मी है तू
उन्ही में समाना है ।
2
मृत शरीर
काहे रोता है प्राणी
आत्मा न मरती है
न होती नष्ट
ऐसा दे गए ज्ञान
पार्थ को वे सारथी !
3
ये मौत क्या है ?
शरीर से मुक्ति है
मोक्ष है या तृप्ति है ,
या फिर नए
बंधन में बँधने
की ये राह है नई ।
4
मौत के पंजे
कब कहाँ किसको
अपने आगोश में
लेंगे समेट
'उसके ' अलावा तो
कोई नहीं जानता ।5
आत्मा न मरती है
न होती नष्ट
ऐसा दे गए ज्ञान
पार्थ को वे सारथी !
3
ये मौत क्या है ?
शरीर से मुक्ति है
मोक्ष है या तृप्ति है ,
या फिर नए
बंधन में बँधने
की ये राह है नई ।
4
मौत के पंजे
कब कहाँ किसको
अपने आगोश में
लेंगे समेट
'उसके ' अलावा तो
कोई नहीं जानता ।5
मौत पड़ाव
भागती जिंदगी का
पूर्ण विराम है ये
आती साँसों के
बन्द उपन्यास का
है ये अंतिम पन्ना ।
भागती जिंदगी का
पूर्ण विराम है ये
आती साँसों के
बन्द उपन्यास का
है ये अंतिम पन्ना ।
6
छूटता हाथ
दर्द के दरिया में
दर्द के दरिया में
जब सदा के लिए
डूबता मन
खाली हो जाती घर
और ये दामन भी ।डूबता मन
खाली हो जाती घर
2-डॉ सरस्वती माथुर
1
उडता फिरा
मृत्यु के डैनो पर
खामोश गुमसुम
जीवन पाखी
सो गया ओढ़ कर
सफ़ेद सा कफ़न l
2
मृत्यु चिड़िया
जीवन गगन में
खेले आँख मिचौनी
समय यम
जीवन लहर में
भँवर ला - ले जाए l
3
घना तिमिर
जीवन चौबारे पे
उतरा उदास सा
मृत्यु रथ पे
रूह लेके जाने को
दलाल बन आया l
4
मृत्यु दलाल
वसूलता है कर्ज
जीवन सपनो से
मौन हवाएँ
सन्नाटे को बुनती
कफ़न चुनती हैं l
-0-
3-कृष्णा वर्मा
1
भयभीत क्यों
रहा आजीवन मैं
कमसिन मृत्यु से
दबे पाँव आ
अंक लगाके किया
मुक्त हर ग़म से।
2
क्षणभंगुर
सा जीवन फिर भी
मोह माया में फँसे
मूर्ख मन की
देख बेचैनी,
मौत
भी,
लुक-छिप हँसे।
3
दीप ध्यान का
करलो प्रज्वलित
बुझा ना पाए मौत
छूटे पल में
धन पद यश तो
जो जाएँ परलोक।
-0-
9 टिप्पणियां:
सभी सेदोका बेहद सुंदर भाव लिए हुए है......शुभकामना
are wah jab me likh rahi thi aap dono ke jaese bhav nhai aaye the .aaj padh to laga ye hai sunder sadoka aap dono ko badhai
rachana
रचना श्रीवास्तव जी, डॉ सरस्वती माथुर जी, कृष्णा वर्मा जी ... आप सभी के सेदोका ... पढ़कर भीतर ही भीतर कुछ होने लगा !
~शाश्वत सत्य
ये इस जीवन का
जीते जी जो समझें..
बेहतर है!
साँसों के धागे, बँधा
अटूट मृत्यु मोती~
~सादर!!!
बहुत ही सुन्दर सदोके है,आभार.
सभी रचनाकारों के सुंदर सेदोका . बधाई .
ये मौत क्या है ?
शरीर से मुक्ति है
मोक्ष है या तृप्ति है ,
या फिर नए
बंधन में बँधने
की ये राह है नई ।
सुंदर सेदोका के लिए आप तीनों को बधाई !!
बहुत प्रभावी सेदोका ....सभी को बहुत बधाई !!
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
ज़िन्दगी का अंतिम सच...बहुत अच्छे...बधाई...|
प्रियंका
Jeevan ,mrtu par sabhi eakse badhkar eak likha hai,bahut acchhhi 2 upmayen di hain...sabhi ko meri hardik badhai...
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