1-डॉ सुधा गुप्ता
1
छली मुखौटे
तत्पर अभिनय
निज-हित- साधन
विवश किया
नाटक-समापन
सम्बन्धों का तर्पण ।
2
बोझ थे अन्धे
प्राणतत्त्व गायब
‘वैताल’
से चिपके
ढोते थकी तो
जलांजलि दे , किया
सम्बन्धों का तर्पण !
-0-
2-भावना सक्सैना
1
घाव खरोंचे
रिश्तों के नाखूनों
से
क्षत- विक्षत मन।
तोड़ें जंजीरें
बंधन न निभाएँ
सुख की साँसें पाएँ।
2
रिश्ते सभी तो
उम्र के होते छोटे
चार दिन मुस्काते
हँसते -गाते
औपचारिकता में
घट रीत ही जाते ।
-0-
4 टिप्पणियां:
'सम्बन्धों का तर्पण ' , 'वैताल से रिश्ते 'और 'रीते घट' ...बहुत मार्मिक सेदोका हैं , ऐसी सच्चाई जिसे हम खुद स्वीकारने के लिए तैयार नहीं होते |
हृदय से बधाई आ दीदी एवं भावना जी ...सादर नमन वंदन !
आह .... दिल की तहों को खुरचते हुए, छील गए...
सभी सेदोका बहुत गहन, भावपूर्ण !
हार्दिक बधाई सुधा दीदी जी एवं भावना सक्सैना जी
~सादर
अनिता ललित
बहुत सुन्दर बिम्ब और भाव ...
बोझ थे अन्धे
प्राणतत्त्व गायब
‘वैताल’ से चिपके
ढोते थकी तो
जलांजलि दे , किया
सम्बन्धों का तर्पण !
घाव खरोंचे
रिश्तों के नाखूनों से
क्षत- विक्षत मन।
तोड़ें जंजीरें
बंधन न निभाएँ
सुख की साँसें पाएँ।
उत्कृष्ट सेदोका के लिए सुधा जी और भावना जी को बहुत बधाई.
छली मुखौटे
तत्पर अभिनय
निज-हित- साधन
विवश किया
नाटक-समापन
सम्बन्धों का तर्पण ।
घाव खरोंचे
रिश्तों के नाखूनों से
क्षत- विक्षत मन।
तोड़ें जंजीरें
बंधन न निभाएँ
सुख की साँसें पाएँ।
बहुत सुन्दर...हार्दिक बधाई...|
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