1-डॉ
सरस्वती माथुर
1
सर्द हैं रातें
बर्फीली वादियों में
कँपकँपाते दिन
जाड़े की धूप
शीत लहरों पर
जैसे गरम बिछौनाl
-0-
रेनु चन्द्रा माथुर
1
सर्द सुबह
कोहरे के रहते
आस रची है मैंने
साँझ ढलते
सागर -सी गहरी
आह भरी है मैने ।
-0-
4 टिप्पणियां:
सर्द सुबह एवं सर्द रात का सुन्दर चित्रण !
बधाई सरस्वती माथुर जी व रेनू चन्द्रा जी !
~सादर
अनिता ललित
thand me sikude huye shabd bhavon ki garmahat de gaye aapdono ko badhai
rachana
धूप और बिछौना...क्या बात है...!
दो खूबसूरत सेदोका के लिए बहुत बधाई...|
जाड़े की धूप और सर्द सुबह का सुन्दर वर्णन ...बहुत बधाई आप दोनों को !
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