1-माहिया
डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
तेरा ना मेरा हो
अपने भारत में
खुशियों का डेरा हो।
2
मैं रोज़ दुआएँ दूँ-
‘खूब बहार खिले’-
दिन-रैन सदाएँ दूँ।
3
लिख गीत जवानों का
जिनके
दम से है
मौसम मुस्कानों का ।
4
दे ऐसा मंत्र मुझे
महका ,मर्यादित- सा
देना गणतंत्र मुझे ।
-0-
2-ताँका
डॉ
सरस्वती माथुर
1
सत्य- अहिंसा
प्रेम सुधा बरसा
मातृभूमि में
लहराया है झंडा
अमन हमें प्यारा l
2
कोशिश करें -
प्यार की सुगंध से
मिलजुल के
देश को महकाए
सद्भाव ही सिखाएँ l
-0-
9 टिप्पणियां:
तेरा ना मेरा हो
अपने भारत में
खुशियों का डेरा हो।............बहुत सुंदर, ज्योत्सना जी।
देश को समर्पित सभी माहिया और ताँका बहुत उम्दा है...
दे ऐसा मंत्र मुझे
महका ,मर्यादित- सा
देना गणतंत्र मुझे ।
ज्योत्स्ना जी और सरस्वती जी को बधाई.
त्रिवेणी परिवार को गणतंत्र दिवस की बहुत शुभकामनाएँ!
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!!
बहुत सुन्दर भाव संजोए हैं डॉ ज्योत्सना जी एवं डॉ सरस्वती जी ने...सादर बधाई दोनो रचनाकारों को|
खूबसूरत-सार्थक माहिया और तांका के लिए बहुत बधाई...|
बहुत आभार भावना जी , 'हिमांशु' भाई जी एवं हरदीप जी | समस्त त्रिवेणी परिवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएँ !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
देश के सीमा-प्रहरियों के प्रति कृतज्ञता -भाव है... मर्यादित गणतंत्र का सुन्दर स्वप्न है...देशवासियों के सुख की कामना है....बहुत अच्छे माहिया लिखे हैं ज्योत्स्ना जी ! ... " मैं रोज़ दुआएँ दूँ- / ‘खूब बहार खिले’- / दिन-रैन सदाएँ दूँ।" बहुत-बहुत पसंद आया !
अनेक शुभकामनाऐँ
डॉ. जेन्नी शबनम जी , ऋता शेखर मधु जी , प्रियंका गुप्ता जी ,अश्विनी कुमार विष्णु जी एवं ब्लॉग बुलेटिन के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ |
सादर !
ज्योत्स्ना शर्मा
हार्दिक धन्यवाद ...anil uphar ji
saadar
jyotsna sharma
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