रचना श्रीवास्तव
1
अब चाँद निकल आया
तुम घर आ जाओ
मन मेरा घबराया ।
2
नैनो में रहते हो
मेरे स्वामी तुम
साँसों में बहते हो
।
3
बस इतना कहती हूँ
हर पल तेरी ही
यादों में रहती हूँ
4
मै लाख जनम पाऊँ
तेरी ही बन के
तेरे ही घर आऊँ ।
5
तू मेरा राँझा है
तेरा- मेरा तो
सुख- दुख सब साँझा है
।
6
नदिया तूफानी है
बहती रहती जो
वो प्रेम कहानी है ।
-0-
8 टिप्पणियां:
वाह! वाह! बहुत ही सुन्दर, भाव विभोर करते हुए माहिया।
करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको रचना जी !
~सादर
अनिता ललित
बहुत सुंदर रचना की है रचना जी |
सविता अग्रवाल "सवि"
सुन्दर माहिया, रचना जी को हार्दिक बधाई !
बहुत सुन्दर माहिया. बधाई रचना जी.
समर्पण , प्रेम भरे बहुत सुन्दर ,मोहक माहिया हैं ....बहुत शुभ कामनाएँ रचना जी हार्दिक बधाई !
भावपूर्ण माहिया....बधाई रचना जी !
प्रेम पगे शब्दों-भावों से पगी इन सुन्दर पंक्तियों के लिए हार्दिक बधाई रचना जी...|
rachna ji aapki rachna bahut hi khoobsurae hai....badhai aapko bahut saari.
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