1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
इतना उपकार करो
मेरी भी नैया
प्रभु ! भव से पार करो ।
2
पग-पग पर हैं पहरे
बख्शे दुनिया ने
हैं ज़ख़्म बहुत गहरे ।
3
हाँ ,साथ दुआएँ थीं
दीप जला मेरा
जब तेज हवाएँ थीं ।
4
खिल उठती हैं खीलें
स्नेह भरे दीपक
ख़ुशियों की कंदीलें ।
5
कुछ काम निराला हो
सच की दीवाली
अब झूठ दिवाला हो ।
6
है विनय विनायक से
काटें क्लेश कहूँ
श्री से ,गणना़यक से ।
7
सुनते ना ,कित गुम हो
अरज यही भगवन
निर्धन के धन तुम हो
8
चाहत को नाम मिले
मनवा को तुम बिन
आराम न राम मिले ।
8
हैं सुख-दुख की सखियाँ
जीवन-ज्योत हुईं
तेरी ये दो अँखियाँ ।
9
दिन-रैन उजाला हो
दीप यहाँ मन का
मिल सबने बाला हो ।
-0-
2-रचना श्रीवास्तव
1
हर ओर दिवाली है
घर तो सूना है
जेबें भी खाली हैं ।
2
चौखट पर दीप जले
मन अँधियारा है
इस नीले गगन -तले ।
3
तुम आज चले आना
मन की चौखट पर
कुछ दीप जला जाना ।
4
दो दिन से काम नहीं
आज दिवाली है
देने को दाम नहीं
5
तन को आराम नहीं
दर्द गरीबों का
सुनते क्यों राम नहीं ।
-0-
3-शशि पाधा
1
यह
पावन वेला है
धरती
के अँगना
खुशियों
का मेला है
2
त्योहार
मना लेंगे
रोते
बच्चे को
हम
आज हँसा देंगे
3
दीपों
की माल सजी
मंगल
गीत हुए
ढोलक
की थाप बजी
4
शुभ
शगुन मना लेना
सूनी
ड्योढी पर
इक
दीप जला देना |
5
तन- मन सब वार गए
अम्बर
के तारे
दीपों
से हार गए |
-0-
4-डॉ सरस्वती माथुर
1
रातें
तो काली हैं
मन
हो रोशन तो
हर
रात दिवाली है ।
2
दीपों
की लड़ियाँ हैं
जगमग
आँगन में
जलती
फुलझड़ियाँ हैं ।
3
नैनो
में दीप जले
नभ
के चंदा सा
आ
जाना शाम ढले।
-0-
5-कृष्णा वर्मा
1
दीपों की माल जली
खुशियाँ सज-धज के
डोलें हैं गली-गली।
2
लौ का लौ हाथ गहे
कटि लचका-लचका
पवन संग नाच करें।
4 टिप्पणियां:
हाँ ,साथ दुआएँ थीं
दीप जला मेरा
जब तेज हवाएँ थीं। -ज्योत्स्ना शर्मा जी।
तुम आज चले आना
मन की चौखट पर
कुछ दीप जला जाना । -रचना श्रीवास्तव जी।
त्योहार मना लेंगे
रोते बच्चे को
हम आज हँसा देंगे। -शशि पाधा जी।
रातें तो काली हैं
मन हो रोशन तो
हर रात दिवाली है । -डॉ सरस्वती माथुर जी
सभी माहिया अत्यंत सुन्दर।
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ। :-)
~सादर
अनिता ललित
kuch deep jala jaana....ki saari rachanaaye behad achchhi lagi...:)
बहुत सुन्दर माहिया...| सभी को हार्दिक बधाई...|
आभार और शुभ कामनाएँ सभी मित्रो को !
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