आज की पोस्ट में अनुपमा त्रिपाठी के स्वर में माहिया पढ़ने के लिए
12 माहिया
को
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1-डॉo सुधा गुप्ता
1
तुम हाथ बढ़ा देना
करुणाकर !सुन लो
तुम पार लगा देना ।
2
मन को अब चैन नहीं
आँखें रीती हैं
होठों पर बैन नही।
3
अमरस अँगनाई में
कोयल कूक रही
अब तो अमराई में ।
-0-
2-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
रुत ये वासंती है
चरणों में हमको
ले लो ये विनती है ।
2
दो बूँद दया बरसे
हम भी हैं
तेरे
फिर कौन भला तरसे ।
3
देरी से आना हो
आकर जाने का
कोई न बहाना
हो ।
-0-
3-डॉ भावना कुँअर
1
तुम बरसों बाद मिले
मन के तार छिड़े
सारे
ही ज़ख़्म सिले।
2
जीवन की रीत
रही
सच्ची प्रीत सदा
इस मन की मीत रही
3
बोलो कब आओगे ?
उखड़ रही साँसें
सूरत दिखलाओगे ?
-0-
4-रामेश्वर काम्बोज
1
बादल ये बरसेंगे ।
मन में धीर धरो
जीवन-पल हरसेंगे ।
2
पग-पग पर शूल बिछे ।
रुकना कब सीखा !
मंज़िल पर
फूल बिछे ।
3
तुम मेरी पूजा हो
तुमसे भी प्यारा
कोई ना दूजा हो ।
11 टिप्पणियां:
सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
2
मन को अब चैन नहीं
आँखें रीती हैं
होठों पर बैन नही।
3
अमरस अँगनाई में
कोयल कूक रही वाह वाह सुधा दीदी बहुत अच्छे माहिया लगे हार्दिक बधाई
देरी से आना हो
आकर जाने का
कोई न बहाना हो । वाह बहुत खूब सुन्दर भाव नजाकत भरा ज्योत्सना जी हार्दिक बधाई
बादल ये बरसेंगे ।
मन में धीर धरो
जीवन-पल हरसेंगे ।
2
पग-पग पर शूल बिछे ।
रुकना कब सीखा !
मंज़िल पर फूल बिछे ।
3
तुम मेरी पूजा हो
तुमसे भी प्यारा
कोई ना दूजा हो ।सभी माहिया बहुत अच्छे लगे हार्दिक बधाई भैया आनंद आ गया आज इस पोस्ट पर --- शशि पुरवार
आदरणीया सुधा दीदी ,हिमांशु भाई जी तथा भावना जी के भावपूर्ण सुन्दर माहिया का अनुपमा जी के मधुर स्वर के साथ संयोजन बेहद मोहक है | निशान्त काम्बोज जी के प्रशंसनीय प्रयास ने उसे और भी सुन्दर स्वरूप प्रदान किया है ..बहुत बधाई ...शुभ कामनाएँ
यहाँ स्थान पाना मेरे लिए भी बहुत प्रसन्नता का विषय है ...हृदय से आभार !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
उत्तम प्रयास.... मनमोहक माहिया, मधुर आवाज़ क्या कहने बहुत सुन्दर, सुन कर बहुत आन्नद मिला। आदरणीया सुधा जी, ज्योत्स्ना जी, हिमांशु जी, भावना जी, अनुपमा जी आपको बहुत-बहुत बधाई!
सभी उत्कृष्ट , अद्वितीय , मन मोहक माहिया हैं .
सभी को हार्दिक बधाई .
मन को अब चैन नहीं
आँखें रीती हैं
होठों पर बैन नही।
कितनी मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ हैं...|
देरी से आना हो
आकर जाने का
कोई न बहाना हो
बहुत सुन्दर...|
बोलो कब आओगे ?
उखड़ रही साँसें
सूरत दिखलाओगे ?
दिल को छू जाती हैं ये पंक्तियाँ...|
पग-पग पर शूल बिछे ।
रुकना कब सीखा !
मंज़िल पर फूल बिछे ।
बहुत ही प्रेरणादायक...|
सभी माहिया अत्यंत मन भाए...| साथ ही अनुपमा जी की आवाज़ में उनका मधुर गान बहुत भाया...| सभी को बहुत बधाई...|
बहुत ही सुन्दर !
जितने सुन्दर माहिया उतनी ही मधुर आवाज़ में अनुपमा जी का गान।
मन मोह लिया...
~सादर
अनिता ललित
शशि जी ,मंजु जी , कृष्णा जी ,प्रियंका जी एवं अनिता जी उत्साह वर्धन के लिए हृदय से आभार !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत खूब !! आज गायन सुना !! आनंद आ गया ।बधाई !बधाई !
बहुत खूब !! आज गायन सुना !! आनंद आ गया ।बधाई !बधाई !
लाजवाब सृजन ज्योत्सना जी !! भावना जी !! सुधा जी !! रामेश्वर जी !! बधाई !बधाई !बधाई !बधाई!
लाजवाब सृजन ज्योत्सना जी !! भावना जी !! सुधा जी !! रामेश्वर जी !! बधाई !बधाई !बधाई !बधाई!
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