1-चोका
रचना श्रीवास्तव
नदी सिमटी
बन गयी नाला वो
दोष किसका
?
पूछती है हमसे
जल के बिना
धरा जल जाएगी
सूखेंगे बीज
फूटेगा न अंकुर
प्यासे कुएँ भी
फैला अपने हाथ
माँगेंगे भीख
एक -एक साँस की
रोएँगे पंछी
चिटकेंगे तालाब
पानी की बूँद
ढूँढेगा सावन भी
फटेंगे होंठ
माँगेगी चैपस्टिक
वो खुश्क हवा
क्या कहोगे उससे ?
चेतो मानव
लालच का
खप्पर
तोड़ दो अभी
इससे पहले के
घरती पूछे -
मै तो सुहागन थी
भरी थी माँग
क्यों तुमने विधवा
मुझको कर दिया?
-0-
2-सेदोका
कमला घाटाऔरा
1
पृथ्वी दिवस
कैसे करें पूजन
रक्तरंगे हाथों से ,
बेखौफ़ हम
देते दर्द जिसको
काट वन -पर्वत।
-0-
9 टिप्पणियां:
rachana ji apaka choka sachaai
bataa raha hai.maine bhi chand laainne likhi thin-
luTe hain van
tan tapane lage
dosh kisaka!
kamla ji apka sedoka bhi bahut bhavnatmak hai .ap dono ko badhai.
pushpa mehra.b
पर्यावरण के प्रति चिंता व्यक्त करती दोनों रचनाएँ बहुत सुन्दर हैं ..
रचना जी एवं कमला जी को हार्दिक बधाई !
~सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
पर्यावरण की मनोव्यथा कहती सुन्दर रचनाएँ।
रचना जी, कमला जी..... बधाई!
बहुत सुंदर, सार्थक, सामयिक चोका एवं सेदोका !
काश! अब तो मानव चेत जाए!
हार्दिक बधाई रचना जी, कमला जी !
~सादर
अनिता ललित
So strange and wonderful
Kashmiri chawla haiku samrat
पर्यावरण का दर्द समझती, साझा करती सुन्दर कवितायेँ!
रचना जी और कमला जी अभिनन्दन!
बहुत सटीक और सामयिक रचनाएं | आज जो हो रहा है, पर्यावरण के साथ खिलवाड़ के कारण ही तो हो रहा है | बधाई आप दोनों को |
शशि पाधा
paryavaran par bhavpradhaan rachnayen....rachnaji tatha kamla ji ko hardik badhai.
बहुत सार्थक और सुन्दर रचनाएँ...हार्दिक बधाई...|
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