डॉ. हरदीप कौर सन्धु
भीड़ वाले शहर की सड़क पर चलते उसने भिखारी के कटोरे में कुछ
सिक्के डाले और अपने रास्ते चलते बनी। पैसे डालते हुए उसकी मँगनी की कीमती
अँगूठी भी कटोरे में गिर गई थी, मगर वह इस बात से अभी तक अनजान थी। कुछ देर बाद जब भिखारी ने यह सुंदर अँगूठी
देखी तो हैरान रह गया। अगले ही पल उसको सब समझ में आ चुका था। इस अनमोल सौगात को लौटाने के लिए वह अँगूठी
वाली सुंदरी की तलाश करने लगा। मगर वह लड़की उसे कहीं नज़र नहीं आई। उस भिखारी ने वह
कीमती अँगूठी सँभालकर रख ली।
अगले दिन वह सूरज उगने से पहले ही उस स्थान पर आ बैठा और उस लड़की का
इंतज़ार करने लगा। पूरा दिन बीत गया मगर वह नहीं मिली। शाम ढलते ही अचानक वह लड़की
उसकी ओर आती हुई दिखाई दी। उसे रोकने के लिए भिखारी ने अपना कटोरा उसकी तरफ़ बढ़ाया।
वह रुकी तथा सिक्के डालने के लिए ज्यों ही उसने अपना हाथ कटोरे की ओर बढ़ाया, भिखारी ने झट से उसकी कीमती अँगूठी उसे लौटा दी। अँगूठी
देखते ही उसकी मुस्कान से चारों दिशाएँ खिल उठी। उस लड़की ने भिखारी को अँगूठी ने
बदले में कुछ इनाम देना चाहा मगर उसने नम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया। भिखारी की
आँखों में एक अनोखी चमक थी और चेहरे पर आत्मिक सन्तोष।
हवा बसंती -
भिखारी का कटोरा
फूलों से भरा।
डॉ. हरदीप कौर सन्धु
15 टिप्पणियां:
Honesty gives satisfaction
imandarise bada koi bhi dhan nahin.
sandesh dete haiban ke liye bahan hadeep ji badhai.
b pushpa mehra.
Absolutely wonderful!
Immensely beautiful!
अच्छे कर्म सदा ही संतोष-धन देते हैं !
सुंदर हाइबन हरदीप जी ! हार्दिक बधाई आपको !
~सादर
अनिता ललित
BAHUT MITHAAS LIYE SUKHAD AHSAAS....ATI SUNDAR HAIBAN HARDEEP JI ..HARDIK BADHAI.
सादगी से भरा एक बहुत सुंदर हाइबन हरदीप जी ।
हार्दिक बधाई आपको ।
बहुत ही सुन्दर हाइबन हरदीप जी....हार्दिक बधाई!
Chhota bada koi dhan se nahi man se hota hai bahut achha likha aapne bahut bahut badhai...
वह अँगूुठी केवल सोने की अँगूठी मात्र नहीं है । सोने का जो बाजार का मूल्य रहा होगा , वह तो तय किया जा सकता है । उसका एक और मूल्य है -उसका मँगनी की अँगूठी होना । उससे किसी का प्यार भी जुडा है, जो अनमोल है ।
रामेश्वर काम्बोज
आप सभी दोस्तों का तहे दिल से धन्यवाद।
ये हाइबन ईमानदारी की अनूठी मिसाल को पेश करता है। ये हाइबन कोई कल्पना नहीं है … एक सच्ची घटना पर आधारित है। इस हाइबन के बारे में सबके अपने -अपने विचार हैं। किसी ने ईमानदारी को सबसे बड़ा धन कहा, किसी ने इसको सादगी से जोड़ा तो किसी ने कहा कि इससे संतोष मिलता है। अपने विचार साँझे करते समय शायद आप इसे एक कल्पना ही मान रहे होंगे और ऐसी बातों से हम कुछ सीखने -सिखाने की अपेक्षा रखते हैं. आप यही सोच रहे होंगे ।
मगर यहाँ मेरा ऐसा कोई विचार नहीं था। मैं तो उस भिखारी की मन की अवस्था का ज़िक्र करने की कोशिश में थी। भिखारी से पहले हमें उसको इंसान मानना होगा ,जिसके पास भी एक कोमल सा दिल है, भावों से भरा दिल। चाहे वो भीख माँग कर गुज़ारा करता है; लेकिन उसके दिल के कोमल भावों ने उस अँगूठी में किसी का अनूठा प्यार देखा। सीमाओं से परे देखने की उसकी इस दृष्टि तथा सोच ने ही यह अँगूठी लौटाने के लिए उसे प्रेरणा दी।
हाँ जाते -जाते ….... इस हाइबन में लिखे हाइकु की तरफ ध्यान ज़रूर दीजिएगा कि भिखारी का कटोरा फूलों से कैसे भर गया ? प्यार की निशानी लौटाने का भी एक सन्तोष होता है , उदात्त सन्तोष !
साभार डॉ हरदीप कौर सन्धु
bahan fulon bhare katore ki jo baat hai vo bahut hi sunder hain sach me santosh ki shukhbu pyarke fhool kuchh bhi ho sakta hai pr katora jarur bhara hai
badhai bahan
rachana
भिखारी तो वो परिस्थिति वश था किन्तु संतोष और मानवीयता उसके संस्कार थे | बहुत ही सार्थक हाइबंन | बधाई आपको |
शशि पाधा
भिखारी का कटोरा कहने को एक अति साधारन घटना हो सकती है।हम देख कर अनदेखा कर के सामने से गुजर जातें हैं लेकिन एक हाइकुकार के पास एक पावरफुल कैमरे की आँख होती है जो दृश्य के पीछे की वस्तु का भी अवलोकन कर सकती है।उसी का उदाहरण है यह हाइबन हरदीप को सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत बधाई।
कमला घटाऔरा
bahut hii sundar haiban !!!
...un foolon ki sugandh doooor tak gaiii !!
badhaii bahan hardeep ji !!
आज का युग ऐसा भौतिकतावादी हो गया है कि सच में ऐसी घटनाएँ कल्पना ही प्रतीत होती हैं...| पर हीरा भी तो कोयले के बीच से ही अपनी चमक बिखेरता है न...| इंसानियत और इंसानी सद्गुणों पर विश्वास और मजबूत ही करती हैं ऐसी घटनाएँ...| एक खूबसूरत हाइबन के रूप में इसे सांझा करने के लिए आभार...ढेर सारी बधाई भी...|
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