डॉ सरस्वती माथुर
1
मन से बँधा
कोमल अहसास
माँ- ईश, माँ विश्वास
न होकर भी
माँ रहती साँसों में
साए-सी
आसपास।
2
माँ है
चन्दन
है आत्मिक बंधन
वात्सल्य- रस भरे
दु:ख- सुख में
सदा
साथ निभाती
आशा भर जाती माँ ।
3
माँ तुम तो हो
कविता- संग्रह सी
मन पन्नो में रची
महाछन्द
हो
रोज उगती हो माँ
तुम सूरज बन।l
4
माँ का क्या मोल
वो तो है अनमोल
सागर -सी विशाल
तरु छाँव -सी
बच्चों की प्रहरी माँ
सिंधु-सी गहरी
माँ
-0-
9 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर भावपू्र्ण सेदोका सरस्वती जी...हार्दिक बधाई!
बहुत सुंदर सेदोका!
हार्दिक बधाई सरस्वती माथुर जी
एवं
'मातृ-दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएँ !
~सादर
अनिता ललित
माँ का क्या मोल
वो तो है अनमोल
सागर -सी विशाल
तरु छाँव -सी
बच्चों की प्रहरी माँ
सिंधु-सी गहरी माँ
Bahut sundar...bahut bahut badhai...
माँ का क्या मोल
वो तो है अनमोल
सागर -सी विशाल
तरु छाँव -सी
बच्चों की प्रहरी माँ
सिंधु-सी गहरी माँ
Bahut sundar...bahut bahut badhai...
ma ka kya mol....... bachon ki prahari ma , sindhu si gahari ma.
bahut sunder panktiyan , anya sabhi sedoka ka nichoD hain.badhai mathur ji.
b pushpa mehra.
बेहद सुन्दर सेदोका, सरस्वती जी!
हार्दिक अभिनन्दन!
माँ तुम तो हो
कविता- संग्रह सी
मन पन्नो में रची
महाछन्द हो
रोज उगती हो माँ
तुम सूरज बन।BADA HI BHAAVPURN SEDOKA SARSWATIJI...HAARDIK BADHAI .
anmol rachanaayen dr. saahibaa !
haardikbadhaii ..shubhkaamanayen !!
माँ तो अनमोल होती है...| उनको समर्पित सभी सेदोका मन को बहुत भाये...| हार्दिक बधाई...|
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