1-तू तो आया ही नहीं
डॉ• भावना कुँअर
ये हरपल
तकती रही आँखें
तेरा ही रस्ता
मर-मर कर भी
पर जाने क्यों
तू तो आया ही नहीं।
याद है मुझे
पीड़ा-भरा वो तेरा
व्याकुल स्वर।
तेरा बीमार होना
मेरा मिलना
बड़ा ही जोखिम था।
तेरी आवाज़
खींच ले गई मुझे
तेरे करीब
देरी किए बिना ही
पहुँची थी मैं।
सुकून-भरा चेहरा
देखा था मैंने,
खुशी से मोती झरे
जी गए हम
पा गए थे जीवन
खिल उठा था
तेरा उदास मन।
कितना मरी
तूने नहीं था जाना
जली -कटी भी
बेहिसाब थी सुनी,
उफ़ !नहीं की,
लड़खड़ाते पैर
काबू में न थे,
फिर भी न रुकी ये
प्रेम की गली।
आज मैंने क्या माँगा?
तेरा ही साथ,
कौन -सी मजबूरी
बनी हैं बेड़ी,
तकती रही आँखें
तेरा ही रस्ता,
मरमर कर भी,
पर जाने क्यों
तू तो आया ही नहीं।
मिट रही थी
तिलतिलकर मैं
खो ही चुकी थी
सुरों की भी झंकार
डरी- सहमी
बस तकती रही
रस्ता मैं तेरा
पर तू नहीं आया।
कैसे भुलाऊँ
वो दर्द भरे पल?
कैसे गुजरे
तुझे कैसे बताऊँ?
मन उदास
ना तो अब शब्द हैं
न कोई गीत
न कोई भी आभास
ना ये धरती
ना ये सूना आकाश
ना तू ही मेरे पास।
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2-आकर्षण
अनिता मण्डा
भीतर कुछ
जलता अलाव- सा
बुझता कब
किया आँसुओं का भी
है आचमन
जाने कितनी बार
एक बेचैनी
रहती भरी हुई
है हर पल
बंजारे हुए नैन
किसे ढूँढ़ते
पाते हैं कब चैन
छूना है नभ
फैलाकर भुजाएँ
चाहूँ उड़ना
उठते नहीं पाँव
बाँधे है मन
कितने आकर्षण
या गुरुत्वाकर्षण।
-0-
16 टिप्पणियां:
भावना जी बहुत बहुत भाव पूर्ण चोका मन को छू गया।
हार्दिक बधाईं।
अनीता जी कमाल का चोका। बधाई आपको
dono rachnaayen behtareen! Bhawna ji, Anita ji shubhkamnaayen!
दोनों चोका बहुत भावपूर्ण। भावना कुंवर जी, अनिता जी बहुत बहुत बधाई।
बहुत मार्मिक चोका भावना जी....बहुत बधाई!
अनीता मण्डा जी बहुत बढ़िया चोका....बहुत बधाई!
भावना जी बहुत ही भावपूर्ण चोका, बधाई
भावना जी बहुत भावपूर्ण चोका, बधाई
आदरणीय संपादक द्वय आभार, यहां स्थान देने हेतु।
आप सभी के स्नेहक आभार।
भावना जी और अनीता जी आप दोनों ने बहुत खूबसूरत चोका रचे हैं हार्दिक बधाई |
भावना जी, अनिता जी भावपूर्ण चोका के लिए बधाई |
शशि पाधा
बहुत भावपूर्ण चोका हैं दोनों...| भावना जी और अनीता जी को बहुत बधाई...|
तू तो आया ही नहीं। … डॉ। भावना कुँवर जी आप का चोका मिलन बिछुड़न के बीच की दर्द भरी मार्मिक भावाव्यक्ति
कहता बहुत अच्छा बन पड़ा है। बधाई आप को।
अनिता मण्डा जी आप का ‘आकर्षण’ शीर्षक चोका भी बहुत सुंदर लगा। ‘बाँधे है मन कितने आकर्षण/ या गुरुत्वाकर्षण’ यह मन की लीला आज तक कोई नही जान सका। सुन्दर विचार। आप को भी बधाई।
भावना जी शब्द-शब्द पीड़ बसी है। बधाई ! बहुत सुंदर चोका अनिता जी। आपको भी बधाई !
behad bhaavpoorn ,marmsparshii rachanaayen !!
dr. bhawna ji evam anita ji ko bahut badhaii !!
Aap sabhi ka bahut bahut aabhar
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