पिता को समर्पित पाँच ताँका ( पितृ-दिवस के अवसर पर)
सुशीला शिवराण
1
तेरा अँगना
मेरी नन्हीं दुनिया
बसी मुझमें
खोल ह्रदय-पट
लेती झाँक जिसमें ।
2
बाबुल मेरे
तेरा लाड़-दुलार
अनुशासन
जब भी बिखरती
लेता मुझे सँभार ।
3
भोर की जाग
श्रम,श्रद्धा, सम्मान
स्वदेश-प्रेम
ऐसे दिए संस्कार
सफलता के द्वार ।
4
‘निर्भय बनोमेरी नन्हीं दुनिया
बसी मुझमें
खोल ह्रदय-पट
लेती झाँक जिसमें ।
2
बाबुल मेरे
तेरा लाड़-दुलार
अनुशासन
जब भी बिखरती
लेता मुझे सँभार ।
3
भोर की जाग
श्रम,श्रद्धा, सम्मान
स्वदेश-प्रेम
ऐसे दिए संस्कार
सफलता के द्वार ।
4
चलो आदर्शों पर
करुणा मन में ’
सिखाते यही पिता
बसी सीख मन में ।
5
फ़ौज़ की बातें
कुर्बानी की गाथाएँ
वो काली रातें
उजली ममता से
पिता देव-तुल्य- से ।
-0-
13 टिप्पणियां:
बहुत शानदार लिखा है आपने!
पितृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
कुछ देर पहले मेरठ से डॉ सुधा गुप्ता जी का फोन आया था । उन्होने आज के आपके ताँका पर विशेष चर्चा की । सभी ताँका उन्हें पसन्द आए , इस ताँका का विशेष उल्लेख किया . अपने पिता के सन्दर्भ में ।
भोर की जाग
श्रम,श्रद्धा, सम्मान
स्वदेश-प्रेम
ऐसे दिए संस्कार
सफलता के द्वार ।
सभी ताँका बहुत भावपूर्ण. पितृ-दिवस की शुभकामनाएँ.
वाह ...सभी बहुत सुंदर ...
ताँका पसन्द करने के लिए आप सबका हार्दिक आभार - डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) जी,
डॉ सुधा गुप्ता जी, डॉ. जेन्नी शबनम और संगीता स्वरूप जी। अपना स्नेह यूँ ही बनाए रखें।
हार्दिक आभार।
बहुत भावपूर्ण सभी सुन्दर ताँका सुशीला जी को बधाई।
कृष्णा वर्मा
फ़ौज़ की बातें
कुर्बानी की गाथाएँ
वो काली रातें
उजली ममता से
पिता देव-तुल्य- से
bahut hi sunder ek tajgi liye sunder tanka
rachana
Sabhi taakan bahut prbhaavshaali hain pitr prem puut2kar baha raha hai hardik badhai..
मैं आपकी प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ डॉ भावना, रचना जी और कृष्णा जी! ऐसी प्रतिक्रियाएँ रचनाकार में नई ऊर्जा का संचार कर उसे बेहतर लिखने को प्रेरित करती हैं।
पुन: आभार।
पिता को समर्पित सभी तांका बहुत अच्छे लगे...मेरी बधाई...।
पिता को समर्पित सभी पंक्तियाँ बहुत सुंदर ----
सभी तांका बहुत सुंदर हैं पर यह मन को छू गया.
भोर की जाग
श्रम,श्रद्धा, सम्मान
स्वदेश-प्रेम
ऐसे दिए संस्कार
सफलता के द्वार ।
पिता का मागदर्शन हर बाधा में सहारा बनता है.
सादर,
अमिता कौंडल
बहुत सुंदर अमिता जी
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