शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

नीरांजना

डॉ सुधा गुप्ता

हे माँ शारदे!
तू मुझको तार दे
तेरी देहरी
आऊँ भाव-हार ले
वर बार-बार दे

माँ! तेरे द्वार
एक यही गुहार
तेरी बालिका
लिये शब्द-मालिका
तू उन्हें सँवार दे।

कई वर्ण के
खिले औअधखिले
फूल जो मिले
जैसे-जैसे गूँथे हैं
माँ! उन्हें स्वीकार ले!

आँखों के दीप
साँसों का नेह लिये
प्राणों की बाती
बनी है नीरांजना
अर्चना साकार, ले!
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8 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुंदर प्रार्थना ....

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर स्तुति रच दी माँ शारदे की...। सुधा जी को बधाई क्योंकि माँ का वर तो उनकी कलम को मिला ही है...।

प्रियंका

बेनामी ने कहा…

माँ शारदे के प्रति इतने खूबसूरत भाव
प्रत्येक ताँका लाजवाब है सुधा जी को बधाई।
कृष्णा वर्मा

sushila ने कहा…

बहुत ही उत्कृष्‍ट ताँका ! आप हमारी प्रेरणा हैं सुधा जी! साहित्य जगत को प्रकाशित करती रहिए ! आमीन !

Rachana ने कहा…

आँखों के दीप
साँसों का नेह लिये
प्राणों की बाती
बनी है नीराजना
अर्चना साकार, ले
अति सुन्दर सुधा जी का एक एक शब्द अपने आप में एक अलग कविता है .अनेकों भावों से भरा होता है उनका एक एक काव्य .
आप से सदा ही सीखा है .उम्मीद है जीवन भर आप से सीखते ही रहेंगे
सादर
रचना

बेनामी ने कहा…

आँखों के दीप
साँसों का नेह लिये
प्राणों की बाती
बनी है नीराजना
अर्चना साकार, ले!

वाह क्या बात है...!! बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ हैं...
सादर
मंजु

उमेश महादोषी ने कहा…

माँ शारदे को अर्पित बेहद खूबसूरत तांका हैं.

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर पोस्ट।