गुरुवार, 31 जनवरी 2013

ओस -भरी पाँखें ।


डॉ सुधा गुप्ता
1
वे दो हिरना  आँखें
मन बीच बसी है
ज्यों ओस -भरी पाँखें ।
2
जल में पुतली तिरती
नील कमल पर ज्यों
बनम डबडब करती ।
3
अब आँसू सूख  चले
रेत -भरी आँखों
सपना कोई न पले ।
4
जाना था तो जाते
लौट न पाएँगे
इतना तो कह जाते ।
5
सब दिन यूँ  ही बीते
बाती से बिछुड़े
हैं दीप पड़े रीते ।
6
अब नींद नहीं आती
रातें रस भीनी
कोरी आँखों जाती ।
7
जब चाहो तब मिलना
पर यह वादा हो
फिर सितम नहीं करना ।
8
जब पाँव चुभा काँटा
छोड़ गया पथ में
दर्द न तूने बाँटा ।
-0-

17 टिप्‍पणियां:

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

भीगे-भीगे एहसासों में डूबे माहिया ... सुधा जी !
दिल को छू गए ...
~सादर!!!

Subhash Chandra Lakhera ने कहा…

" सब दिन यूँ ही बीते / बाती से बिछुड़े / हैं दीप पड़े रीते । " डॉ सुधा गुप्ता जी के सभी माहिया अच्छे लगे।

हार्दिक बधाई ! - सुभाष लखेड़ा

Subhash Chandra Lakhera ने कहा…

" सब दिन यूँ ही बीते / बाती से बिछुड़े / हैं दीप पड़े रीते । " डॉ सुधा गुप्ता जी के सभी माहिया अच्छे लगे।

हार्दिक बधाई ! - सुभाष लखेड़ा

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

जब पाँव चुभा काँटा
छोड़ गया पथ में
दर्द न तूने बाँटा ।

मीठी मीठी सी दर्द लिए लाजवाब माहिया .....!!

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

आदरणीय कम्बोज जी आपका स्नेह ही हमें यहाँ खींच लाता है ....
आप नहीं थे न ......:))

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

जल में पुतली तिरती
नील कमल पर ज्यों
शबनम डबडब करती ।

वाह...बहुत सुन्दर प्रकृति चित्रण
सभी माहिया एक से बढ़कर एक
सुधा दीदी को बहुत बहुत बधाई !!

Krishna Verma ने कहा…

भावनात्मक माहिया..सुधा जी बधाई।
सादर

Anupama Tripathi ने कहा…

komal bhavnayen ....Sudha ji ...

शशि पाधा ने कहा…

मन पीड़ा को शब्दों में में बांधते हुए माहिया | हर माहिया की वेदना अपनी -अपनी | बधाई आपको सुधा जी|

Rachana ने कहा…

जाना था तो जाते
लौट न पाएँगे

इतना तो कह जाते ।

उफ़ इतना दर्द सुंदर भाव सुधा जी .

सादर

रचना

sushila ने कहा…

अत्यंत भावपूर्ण, मन में टीस जगाते बहुत ही सुंदर माहिया।

sushila ने कहा…

"अब नींद नहीं आती
रातें रस भीनी
कोरी आँखों जाती "

सभी माहिया भावपूर्ण, दिल को छूते हुए ! सुधा दी भावना की सिरमौर कवयित्री हैं। बधाई !

renuchandra ने कहा…

अब आँसू सूख चले
रेत -भरी आँखों
सपना कोई न पले ।
मन की वेदना लिये हुए बहुत अच्छा लगा यह महिया। सभी माहिया बहुत सुन्दर भाव लिये हुए हैं। सुधा जी आपको बधाई।
रेनु चन्द्रा

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

अब आँसू सूख चले
रेत -भरी आँखों
सपना कोई न पले ।

Sudha ji likhti nahi rachati hain,maine mail padhi bada dukh hua jaankar ki koi tippani nahi aayi maine to 2 hafto se kahin bhi koi tippani nahi ki kaaran aap jaante hain ghar shift kiya hai abhi net nahi hai ye bhi office se kar rahi hun,jaise hi net aayega sabhi lekhakon ko der se hi sahi par tippani jarur karungi yahi to hai sabko likhne ke preranaa deti hain...

sabhi se kahungi ki padhane or tippani jarur karen sabhi ko eakdusre ke sneh ki jarurat hai...

ज्योत्स्ना शर्मा ने कहा…

बहुत भाव पूर्ण माहिया ..एक से बढकर एक ......
अब आँसू सूख चले
रेत -भरी आँखों
सपना कोई न पले ।..विशेष ...सादर नमन दीदी !

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण माहिया...हार्दिक बधाई...|
प्रियंका

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सभी माहिया गहरे एहसास से परिपूर्ण. सुधा जी की लेखनी सदैव कमाल लगती है...

जब पाँव चुभा काँटा
छोड़ गया पथ में
दर्द न तूने बाँटा ।

बहुत शुभकामनाएँ.