हरकीरत 'हीर'
1
ये आया कौन ? खुदा !
साँसें महक उठीं,
ग़म से कर दे न जुदा ।
2
1
ये आया कौन ? खुदा !
साँसें महक उठीं,
ग़म से कर दे न जुदा ।
2
हमने हर घूँट पिया
विषमय जीवन का
विषमय जीवन का
हँसकर हर दौर जिया .
3
सच तू , तू ही सपना
3
सच तू , तू ही सपना
कैसी प्रीत
मिली
गैरों में तू अपना ।
4
4
उधड़ी मैं ज्यों कतरन
तनिक पता न चला
बिखरी मैं बन उतरन ।।।
5
5
साँसों से बरसी हैं
आहें यादों की
प्यार बनी ,तरसी हैं ।
-0-आहें यादों की
प्यार बनी ,तरसी हैं ।
3 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर लगे सारे माहिया...हार्दिक बधाई...|
प्रियंका
ये आया कौन ? खुदा !
साँसें महक उठीं,
ग़म से कर दे न जुदा
bahut sunder bhav
badhai
rachana
स्त्री की मनोदशा...
उधड़ी मैं ज्यों कतरन
तनिक पता न चला
बिखरी मैं बन उतरन ।।।
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण, बधाई.
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