कृष्णा वर्मा
1
पाया जो तुम्हें
उमंग बनी मेरी
खुशियों की बहार
गोद में लिया
पुन: मिली सौग़ात।
2
देखा जो तुझे
मन गुदगुदाया
पाया बड़ा आनन्द
कसके तूने
अँगुली यूँ पकड़ी
ज्यों जन्मों का सम्बन्ध।
3
हर
लेती
है
तेरी ये मुसकान
मेरी
सब
पीड़ाएँ,
कैसा
बंधन
दीर्घायु की पिपासा
सहसा बढ़ी जाए।
4
भोली -सी तेरी
मीठी प्यारी बातों में
कैसा है भरा जादू !
अनेकों ग़म
तेरी हँसी दे मेट
तू अनुपम भेंट।
5
तू नटखट
शैतान बड़ा पर,
मेरी आँख का तारा,
निज बेटे से
बढ़कर लगे तू
रिश्ता है कैसा न्यारा।
6
ना हरि सेवा
नित नेम प्रभु का
कैसे मोह में पड़ी !
चित्त सुझाए
इसकी सेवा में ही
हरि भी मिल जाए ।
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1 टिप्पणी:
ममता से भरे सुन्दर सेदोका...बधाई...|
प्रियंका
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