शशि पाधा
1
सुधियों
की गलियाँ हैं
बचपन
की बातें
मिश्री
की डलियाँ हैं ।
2
ममता की डोरी थी
दादी की गोदी
मीठी सी लोरी थी ।
3
तितली से उड़ते थे
मन को पंख लगे
जित चाहे मुड़ते थे ।
4
खुशियाँ भर झोली में
ब्याह के शगुन हुए
गुडिया की डोली में ।
5
छम छम बरसात हुई
तन-मन भीग गया
शीतल सौगात हुई ।
6
तारों की छैयाँ में
कितने सपने थे
7
क्या खेल तमाशे थे
भर भर हाथों में
बस खील बताशे थे ।
8
कब लौट के आएँगे
खेल खिलौने के
दिन फिर जी
पाएँगे !
-0-
6 टिप्पणियां:
ममता की डोरी थी
दादी की गोदी
मीठी सी लोरी थी ।
bahut hi sunder sunder bimbo se saje bhav
rachana
वाह .. बहुत सुन्दर लगी बचपन की बातें ... और क्यूँ न हो बचपन होता ही सुन्दर है...
बहुत खूबसूरत, मनमोहक चित्रण बचपन के प्यारे-प्यारे दिनों का...:-)
~सादर!!!
छम छम बरसात हुई
तन-मन भीग गया
शीतल सौगात हुई । ......सुन्दर मधुर भावों की छम छम बरसात हुई ..और ..मन भीग गया ...बहुत मोहक माहिया ...बहुत बधाई !
बड़े ही मोहक माहिया...
बचपन की निराली बातें...बहुत बधाई !!
बचपन लौटा कर तो शायद हर कोई लाना चाहता है...| कुछ यादें अपने बचपन की भी ताज़ा कर गए ये माहिया...|
बधाई...|
प्रियंका
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