शनिवार, 30 नवंबर 2013

मन की बात



डॉ भावना कुँअर
1
वक्त ने मुझे
बेबस ऐसा किया-
जलाया था मैंने जो
प्रेम का दीया
छोटी -सी इस लौ ने
जीवन जला दिया।
2
तूने ही दिए
अनगिनत ख्वाब
मेरी इन आँखों में,
पर क्या किया?
ख्वाबों के संग-संग
बेरौनक हुई अँखियाँ ।
3
आँखों में एक
बसा था सुरूरसा
चिंगारियों से भरा
एक अदद
है कौन कमज़र्फ
ये जहान दे गया।
4
सहेजे रखी
जो बरसों से मैंने
यादों की पिटारियाँ
अचानक यूँ
एक निकल भागी
जा माँ के गले लगी
5
मन की बात
है छिप जाती कभी
सर्दी की धूप-जैसी
लहरों -संग
उछल जाती कभी
नन्ही मछलियों- सी।
6
मन की बात
लिख न पाए कोई
अठखेलियाँ करें
ये नटखट
चंचल लहरों -सी
ख्वाबों पे पहरेसी।
7
दर पे मेरे
छोड़ी है किसने
दर्द भरी पोटली?
जादू भरी -सी
निकालूँ,थक जाऊँ
खत्म न कर पाऊँ।
8
बिखरी चीज़ें
हैं दिला रही याद
बीते हुए पलों की
सँभाले रखी
यादों की टहनियाँ
प्रेम न रख पाए।
9
शोर मचाएँ
उमड़ते ये आँसू
कोई न सुन पाए
पर चाँदनी
सहेजती  ही जाए
झरते मोतियों को  ।
10
धूप-सी खिली
अँधेरों को चीरती
वो मोहक मुस्कान
हर ले गई
गमों के पहाड़ को
मिला जीवन –दान
-0-

रविवार, 24 नवंबर 2013

दिल के राज (सेदोका)

रेनु चन्द्रा

1.
सफेद पोश 
सामने फिरते हैं
भीतर से देखो तो
काले  होते हैं
जपते राम नाम
कत्ल वो करते हैं ।

2.
जीवन जीते
अंधेरी गलियों में
फिर बढ़ता जाये
घोर अंधेरा
संतप्त मानव को
फिर प्रश्नों ने घेरा ।
-0- 


शशि पुरवार

१ 
धवल वस्त्र 
पहन इठलाये 
मन के कारे जीव 
मुख में पान 
खिसियानी हंसी 
अनृत कहे जीभ।  
२ 
भोले चेहरे 
कातिलाना अंदाज 
शब्द  गुड की डली 
मौकापरस्त 
डसते  है जीवन 
इनसे दूरी भली।
सांचा है साथी  
हर पल का साथ 
कोई बुझ न सका
दिल के राज
विषैला हमराही  
आस्तीन का है साँप।
 -0- 



शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

रिश्ते प्यार के




1-डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 
1
रिश्ते प्यार के 
चाहा था फूलें- फलें 
सँवरें रहें  
क्या जानूँ कैसे हुए 
अमर बेल बनें
2
चुनती रही 
काँटे सदा राह से 
और वे रहे 
इतने बेफिकर 
मेरी आहों  से कैसे !
3
अरी पवन !
ली खुशबू उधार 
कली -फूल से 
ज़रा कर तो प्यार 
न कर ऐसे वार !
4
मंज़ूर मुझे 
मेरे काँधे बनते 
तेरी सीढ़ियाँ
तूने दुनियाँ रची 
मिटा मेरा आशियाँ |
 -0-

2-सुनीता अग्रवाल
1
मीठा बोलता
कोकिल मन मोहे
मन का काला
कर्कश काक भला
मन ममता- भरा ।
-0-