डॉ हरदीप कौर सन्धु
दूर बैठे ही
देखा मन आँगन
ज्यों दी आवाज़
तुम बैठे थे पास
बहते आँसू
बुझाने लगे प्यास ।
सहेज रखे
मिले जो पल -पल
फूल हों जैसे
फुलकारी बिखरे
मीठी खुशबू
दिल -आँगन भरे ।
कभी बन्द न होगा
दस्तक -चुप्पी
झट से तोड़ देगी
तेरी खुशबू
हवा में ढूँढ़ लेगी
अमर ज्योति !
रौशनी चली आए
आँधी-तूफ़ान
टकरा, लौट जाए
दूरियाँ नहीं ,
ये ज़मीनी फासले
रूह, मन से मिले ।
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8 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर भाव लिए खूबसूरत चोका। बधाई!
हरिदीप जी... दूर बैठे ही...,सहेज रखे...,दिल का द्वार...,बहुत सुन्दर चौका..दिल
को छू गये। बधाई..
रेनू चन्द्रा
बहुत प्यारा चोका है...मेरी बधाई हरदीप जी...।
बहुत सुंदर चौका है
दिल का द्वार
कभी बन्द न होगा
दस्तक -चुप्पी
झट से तोड़ देगी
तेरी खुशबू
हवा में ढूँढ़ लेगी
अमर ज्योति !
सुंदर भाव.
बधाई,
अमिता कौंडल
बहते आँसू
बुझाने लगे प्यास ।
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ....
दिल का द्वार
कभी बन्द न होगा
दस्तक -चुप्पी
झट से तोड़ देगी
तेरी खुशबू
हवा में ढूँढ़ लेगी
अमर ज्योति !
jvaab nahi..
सभी सुन्दर भावयुक्त चोका..बधाई
कृष्णा वर्मा
आशा की दस्तक लिये बहुत सुन्दर चोका...बधाई आपको
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